#दुष्टों की छाती पर चढ़,
टूट पड़ बनकर कहर ,
अब #सहन ना कर ,
कोई तो रूप धर ।
उठा हाथ में खप्पर ,
मां #दुर्गा बनकर ,
ऐसा चला अपना त्रिशूल,
दुष्टों की छाती पर जाये उतर।
#अहिल्या बाई होलकर ,
या #झांसी की रानी बनकर,
उठा हाथ में तलवार ,
दुश्मन का कर प्रतिकार ।
#आत्मरक्षा के गुण से संवार ,
अस्त्र शस्त्र से कर श्रृंगार ,
#वीरांगना का ऐसा रूप धर ,
कि दुष्ट कांपे थर थर ।
#दुष्टों की छाती पर चढ़,
टूट पड़ बनकर कहर ,
अब सहन ना कर ,
कोई तो रूप धर ।