शनिवार, 30 जुलाई 2022

यूं ही #दिल चुराने वाले !

इमेज गूगल साभार 
#मासूम #अदाओं से,

यूं ही दिल चुराने वाले ,

कभी करते  बैचेन हो ,

तो कभी बनते #उम्मीदों के उजाले ।

 

चाहत किसे नहीं  ,

बन जाये अपना कोई ,

मिल जाये सुकून दिलों का

और नींद रातों की चुरा ले ।

 

जतन पर जतन करते हैं ,

हर राह उनकी चुनते हैं ,  

की कभी तो हो जायें,

उनकी नजरों के हवाले ।

 

बहुत हुआ अब ,

काश कह दूँ सब अब  ,

पर सामने होते है वे जब,

खुलते नहीं लवों के ताले ।

 

चाहत का क्या है ,

हो सकता एक तरफा है ,

जरूरी  नहीं उधर भी यही रजा है ,

फिर भी रखे हैं  दामन उम्मीद का संभाले ।

 

मासूम अदाओं से अपनी,

यूं ही दिलों को चुराने वाले ,

कभी करते बैचेन ,

तो कभी  बनते उम्मीदों के उजाले ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मयंक सर,
    इस रचना की चर्चा आज रविवार (31-07-2022) को "सावन की तीज का त्यौहार" (चर्चा अंक--4507) पर करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।
    --

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  2. आदरणीय जिज्ञासा मेम एवम वोकल बाबा , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय अनामिका मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  4. मन में डोलते भावों को सुंदर शब्दों को पिरोती खूबसूरत रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय संजय सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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