शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

यूं न दिखाया करो जमाने को अपने #जख्म !

इमेज गूगल साभार


यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम


सामने तो बनते हैं हमदर्द ,

पर पीछे पीठ कुरेदते हैं जख्म ।

जख्म तो सहलाते नहीं है ,

पर बढ़ा जाते हैं दर्दे गम ।


साथ खड़े रहने का तो यहां ,

जमाना यूं ही निभाता रसम ।

मुश्किलों में जो ढाल बन जाये ,

वो लोग होते हैं बहुत कम ।


खुद ही उलझना पड़ता यहां ,

हालात कितने भी ढाये सितम ।

हर हमराही हमदर्द  होता है,

मन से निकाले यह वहम ।


यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय संगीता मेम, आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

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  2. जीवन की इन कड़वी सच्चाइयों को स्वीकार करके आगे बढ़ते रहना ही सुखी जीवन का मंत्र मालूम देता है :-)

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय रवि सर, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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