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सोमवार, 9 मई 2022

हाय ये #गुमराह #गरमी !

 

इमेज गूगल साभार 

हाय ये #गुमराह #गरमी ,

न जाने कितना सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने न देती ,

भर #दुपहरिया आग लगायेगी ।


नदी सुखाये तालाब सूखाये,

पेड़ पौधे भी सब मुरझाये,

पशु पक्षी भी दर दर भटके ,

कितना हाहाकार मचायेगी ।


बच्चे बूढ़े सब घर में दुबके ,

कामकाजी रह गये जल भुन के,

तन पसीने से सबके पिघले ,

कितने को बीमार बनाओगी ।


पेड़ पौधों की दी है बली ,

जलस्रोतों की मिटा दी हस्ती ,

सीमेंट कंक्रीट की है होड़ मची ,

तो गरमी ऐसे ही इतरायेगी । 


प्रकृति से गर करें दोस्ती ,

उससे न करें जबरदस्ती,

जब चलेगी तालमेल की कश्ती ,

तो गर्मी भी ठंडी पड़ जायेगी । 


तब ये गुमराह गरमी ,

फिर न किसी को सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने देगी ,

और दुपहरिया में कहीं दुबक जायेगी ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर और सार्थक चिंतनपरक रचना। कहीं न कहीं मनुष्य स्वयं भी प्रकृति से जुड़ी समस्याओं के लिए स्वयं भी जिम्मेदार है। आपको बहुत-बहुत बधाई। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर और सटीक अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रकृति से गर करें दोस्ती ,

    उससे न करें जबरदस्ती,

    जब चलेगी तालमेल की कश्ती ,

    तो गर्मी भी ठंडी पड़ जायेगी ।
    ...बिलकुल सही बात

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय पम्मी मेम इस रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11 मई 2022 को लिंक

    http://halchalwith5links.blogspot.in पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय बाबा सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय अनुराधा एवं कविता मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय शास्त्री सर मेरी प्रविष्टि के लिंक की चर्चा चर्चा मंच "जिंदगी कुछ सिखाती रही उम्र भर" (चर्चा अंक 4427) पर सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. अद्भुत शब्द चयन :-)मनुष्य द्वारा अनियंत्रित प्रकृति दोहन के फलस्वरूप होने वाले परिणाम पर भी दृष्टिपात। बहुत सुंदर :-)

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय रवि सर , आपकी सुन्दर और बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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