#दीवारों में दरार है ,
दिखता आर पार है ,
झांकती बाहर तकरार है ,
तो बाहरी दखल के आसार है ।
दीवारों में दरार है ,
बनती अख़बार है ,
घर की हर घटनायें ,
हो जाती समाचार है ।
दीवारों में दरार है ,
फिर कहां करार है ,
न खुशियों से दीदार है ,
न आपस में सद व्यवहार है ।
दीवारों में दरार है ,
गर भर जाये एक बार है ,
फिर बाहरी दखल फरार है ,
और सुलह के आसार है ।
बHउत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्योति मेम आपकी सुन्दर और सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१६-०४ -२०२२ ) को
'सागर के ज्वार में उठता है प्यार '(चर्चा अंक-४४०२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
क्या बात है सरजी ☺️
जवाब देंहटाएंआदरणीय सैनी मेम जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०४ -२०२२ ) को
'सागर के ज्वार में उठता है प्यार '(चर्चा अंक-४४०२) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
सादर
आदरणीय रवि सर आपकी "क्या बात है" सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
दीवारों में दरार है ,
जवाब देंहटाएंदिखता आर पार है ,
झांकती बाहर तकरार है ,
तो बाहरी दखल के आसार है ।
बहुत खूब,जब खुद में कमी होगी बाहरी दखलंदाजी जरूर होगी।
उत्तम विचार और सराहनीय सृजन सर,सादर नमन
आदरणीय सिन्हा मेम आपकी सराहनीय और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
16 अप्रैल 2022 को 10:48 am
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज सर उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।