फ़ॉलोअर

रविवार, 16 अक्टूबर 2022

नज़रें हटे नहीं जरा भी #लक्ष्य से ।

इमेज गूगल साभार 


जुटा कर मन पूरे पक्ष से ,

हर क्षमता और हर दक्ष से ,

जब तक सधे नहीं एक टक से,

नज़रें हटे नहीं जरा भी #लक्ष्य से ।


निकल सुविधाओं के कक्ष से,

बचकर बुरी बातों के पथभ्रष्ट से ,

स्वबल और साहस ले सहस्त्र से ,

हर बाधायें दूर करें अपने लक्ष्य से ।


स्थितियां का सामना हो समझ से ,

कितनी कठिनाइयां हो या कष्ट से ,

होकर दूर गलतफहमियां और गफलत से ,

रखें अटकायें आंखें अपने लक्ष्य से । 


गर झुका कर सर बड़ी अदब से ,

झोंक दी ताकत अपनी तरफ से ,

देगी सृष्टि भी साथ सारी शिद्दत से ,

#सफलता सजाएगी सेहरा लक्ष्य से ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय रवि सर, आपकी बहुत खूब प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार 17 अक्टूबर, 2022 को     "पर्व अहोई-अष्टमी, व्रत-पूजन का पर्व" (चर्चा अंक-4584)    पर भी है।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय मयंक सर ,
    मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार 17 अक्टूबर, 2022 को "पर्व अहोई-अष्टमी, व्रत-पूजन का पर्व" (चर्चा अंक-4584) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय ओंकार सर एवं जिज्ञासा मेम ,
    आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय भारद्वाज मेम ,
    आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

#फुर्सत मिली न मुझे !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...