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जुटा कर मन पूरे पक्ष से ,
हर क्षमता और हर दक्ष से ,
जब तक सधे नहीं एक टक से,
नज़रें हटे नहीं जरा भी #लक्ष्य से ।
निकल सुविधाओं के कक्ष से,
बचकर बुरी बातों के पथभ्रष्ट से ,
स्वबल और साहस ले सहस्त्र से ,
हर बाधायें दूर करें अपने लक्ष्य से ।
स्थितियां का सामना हो समझ से ,
कितनी कठिनाइयां हो या कष्ट से ,
होकर दूर गलतफहमियां और गफलत से ,
रखें अटकायें आंखें अपने लक्ष्य से ।
गर झुका कर सर बड़ी अदब से ,
झोंक दी ताकत अपनी तरफ से ,
देगी सृष्टि भी साथ सारी शिद्दत से ,
#सफलता सजाएगी सेहरा लक्ष्य से ।
Bahut khoob Sirji
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवि सर, आपकी बहुत खूब प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार 17 अक्टूबर, 2022 को "पर्व अहोई-अष्टमी, व्रत-पूजन का पर्व" (चर्चा अंक-4584) पर भी है।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक सर ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार 17 अक्टूबर, 2022 को "पर्व अहोई-अष्टमी, व्रत-पूजन का पर्व" (चर्चा अंक-4584) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
सादर ।
आदरणीय ओंकार सर एवं जिज्ञासा मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।
बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भारद्वाज मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार । सादर ।