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#भीगकर तुमने #बारिश में ,
बूंदों पर एक #अहसान किया |
खुशकिस्मत थी वो बूंदें ,
जिसने था तुम्हें छुआ ।
बहकी #बहकी थी वो बूंदें ,
जिसने तुम्हारे लव को चूमे ,
कुछ #केशों में जा थी अटकी,
जिसने चाहा संगत लंबी ।
जो बूंदें थी नीचे जा गिरी ,
वो अभी तक #मदहोश पड़ी ,
कुछ बाहों में सिमटी सिमटी,
#किस्मत थी अच्छी जिनकी ।
हवा का एक झोंका आया ,
सब बूंदों को होश में लाया ,
बूंदों ने लो तुम्हें किया विदा ,
कहकर #तहदिल से #शुक्रिया ।
भीगकर तुमने बारिश में ,
बूंदों पर जो अहसान किया l
***"दीप"क कुमार भानरे ***
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जून 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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आदरणीय रविन्द्र सर,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जून 2023 को लिंक करने हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।...
सादर ।
Kya baat hai ! Is sundar vatavaran ko premmay panktiyon ke roop me pirokar pesh karne ka apko bhi tah-e-dil se shukriya :-)
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु । सादर ।
हटाएंवाह! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
हटाएंआदरणीय मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है दीपक जी।मोहक रचना जो अनुरागरत हृदय से उमडी है।हार्दिक बधाई आपको 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम , आपके हार्दिक बधाइयाँ और प्रशंसा हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
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