यूं न रहो बैठे ,
किसी कौने ठिकानों में,
कुछ तो #सीखने जाओ ,
#कौशल के संस्थानों में ।
बनेगें अवसर #रोजगार के ,
दुनिया जमाने में ,
फिर गुज़रेगी यूं ही ज़िंदगी,
#पैसा #कमाने में ।
बढ़ जायेगा #रुतबा ,
अपनों और यारानों में ,
जब हो जाओगे शामिल ,
कौशल के #जानकारों में ।
मिल जायेगी #नौकरी ,
किसी अच्छे संस्थानों में ,
या होगा रोजगार खुद का ,
अपने ही #कारखानों में ।
अब रहोगे बैठे ,
#कौशलमंदों के शामियानों में ,
पा जाओगे एक #मुकाम ,
ज़िंदगी के जहानों में ।
अतिसुन्दर पहल गुरुजी :-)
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर, सादर ।
हटाएं💯💯
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय , सादर ।
हटाएंवाह सर.... बहुत ही शानदार, जानदार, रोजगार और स्वरोजगार भरी कविता लिखी है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर , सादर ।
हटाएंBhaut hi valuable information
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय , सादर ।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक सृजन की बधाई
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता मेम ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआदरणीय भारती सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
आदरणीय अग्रवाल सर ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 10 जुलाई 2023 में शामिल करने के लिये , बहुत धन्यवाद , सादर ।
निष्ठा और समर्पण से किया गया श्रम ही जीवन में सफलता का आधार है।प्रेरक रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीपक जी 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम , आपकी शुभकामनाओं हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
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