शनिवार, 8 जुलाई 2023

यूं न रहो बैठे , किसी कौने ठिकानों में !

 


यूं न रहो बैठे ,

किसी कौने ठिकानों में,

कुछ तो #सीखने जाओ ,

#कौशल के संस्थानों में ।

 

बनेगें अवसर #रोजगार के ,

दुनिया जमाने में ,

फिर गुज़रेगी यूं ही ज़िंदगी,

#पैसा #कमाने में ।

 

बढ़ जायेगा #रुतबा ,

अपनों और यारानों में ,

जब हो जाओगे शामिल ,

कौशल के #जानकारों में ।

 

मिल जायेगी #नौकरी ,

किसी अच्छे संस्थानों में ,

 या होगा रोजगार खुद का ,

अपने ही #कारखानों में ।

 

अब रहोगे बैठे ,

#कौशलमंदों के शामियानों में ,

पा जाओगे एक #मुकाम ,

ज़िंदगी के जहानों में ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. अतिसुन्दर पहल गुरुजी :-)

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  2. वाह सर.... बहुत ही शानदार, जानदार, रोजगार और स्वरोजगार भरी कविता लिखी है आपने

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक और सामयिक सृजन की बधाई

    जवाब देंहटाएं
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    1. आदरणीय अनीता मेम ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय भारती सर ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।

      हटाएं
  5. आदरणीय अग्रवाल सर ,
    मेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 10 जुलाई 2023 में शामिल करने के लिये , बहुत धन्यवाद , सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. निष्ठा और समर्पण से किया गया श्रम ही जीवन में सफलता का आधार है।प्रेरक रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीपक जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मेम , आपकी शुभकामनाओं हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं

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