#मुश्किल होता है ,
खुद को संभालना ,
जब कभी मिलता नहीं ,
#मनचाहा #मुकाम ना ।
लगता इस जहां में,
अब मेरा कोई काम ना,
हारा हुआ #प्यादा हूं ,
मेरा कोई #दाम ना ।
पर #जीत से होता नहीं ,
हर बार तो सामना ,
कभी तो मिलेगी #हार ,
बात यह गांठ बांधना ।
होना निराश नहीं ,
चाहे मिले उचित परिणाम ना ,
करते रहें हौसलों से ,
हर मात का सामना ।
#समीक्षा से सार ले ,
सीख नई निकालना ,
फिर लक्ष्य #संधान कर ,
तीर सही तानना ।
तब मुश्किल होगा नहीं ,
खुद को संभालना ,
फिर दूर होगा नहीं ,
मनचाहा मुकाम ना ।
***दीपक कुमार भानरे***
सुंदर सृजन
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