रविवार, 17 फ़रवरी 2019

गीदड़ों# के बम# पर कहाँ है इतना दम# !

इमेज गूगल साभार
गीदड़ों के बम पर कहाँ है इतना दम ,
जो भिड़ सके शेरों से सामने आकर ।

कायरों सा छिपकर कर रहे आक्रमण ,
कुछ गद्दारों संग पीछे से आकर ।

कंगाली से जिसका भरा है खुनी दामन,
आतंकवाद की जहरीली फसल लगाकर ।

कुछ न कर पायेंगे ये बुजदिल हासिल ,
ऐसी घटिया सी हरकत अपनाकर ।

जब भी शेरों के सामने आया दुश्मन ,
पराजित हुआ है मुंह की खाकर ।

एक एक कर सब पहुचेंगे  जहन्नुम ,
कोई न बचेगा शेरों से टकराकर ।

जय हिन्द की सेना । 

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

अपने अंदर# के हुनर# को आजमाकर# तो देखें !



चलो एक कदम और बढाकर तो देखें ,
अपने अंदर के हुनर को आजमाकर तो देखें ।

माना कि खुद के अंदर कभी झाँका नहीं ,
स्वयं को पहचानने की रही जिज्ञासा नहीं,
प्रतिभा को अपनी  कभी आँका नहीं ,
क्षमता के अनुरूप खुद को तराशा नहीं।

करते  रहे औरों की सुनकर अब तक ,
मन की बात सुनने की न थी फुरसत ,
सफलता ने न दी द्वार पर दस्तक ,
बस दुनिया को कोसा किये अब तक ।

आसमाँ और भी है मन में रख हताशा नहीं ,
जहां चाह वहां राह है अब छोड़ अभिलाषा नहीं ।

निराशा की धूल "दीप" दर्पण से हटाकर तो देखें ,
संभावनाओं के समंदर में गोता लगाकर तो देखें ,
चलो एक कदम और बढाकर तो देखें ,
अपने अंदर के हुनर को आजमाकर तो देखें ।

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

कर लो कौशल# विकास# और सीख लो तकनीकी# हुनर!

कर लो कौशल# विकास# और सीख लो तकनीकी# हुनर!

कर लो कौशल विकास और सीख लो तकनीकी हुनर ।
दूर होगी कैरियर  की चिंतायें  जीवन जायेगा संवर ।

माना की पढ़ाई पर टूट पड़ा परिस्थितियों का कहर ।
न ही हासिल कर पाये उच्च शिक्षा  के अच्छे अवसर ।
चिन्ता की कोई बात नही और न ही ज्यादा करें फिकर ।
कर लो कौशल विकास और सीख लो तकनीकी  हुनर ।

उद्योगों का कार्य या उपकरणों के मरम्मरत का हो हुनर ।
ऐसी विभिन्न विधाओं और व्यवसाय में प्रशिक्षण लेकर ।
पा सकते है रोजगार और स्वरोजगार के ढेरों अवसर ।
अपने शहर में स्थापित करें स्वरोजगार होकर पेशेवर ।

दूसरों को भी रोजगार के अवसर देकर बने आत्मनिर्भर ।
बने स्वभाग्य निर्माता 'दीप' शुरू करें अजीविका सफ़र।
कर कौशल विकास और सीख कर  तकनीकी  हुनर ।

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

है पथ# पग# पग पर पथरीले#

है पथ पग पग पर पथरीले , 
अभी दूर है मंजिले।

कितनी सहूलियतें त्यागनी है ,
कितनी ही रातें जागनी है , 
कितनी बाधायें लांघनी है ,
कठिन परिस्थितियां साधनी है ,
पड़ जायेँगे पाँव में छाले ,
है पथ पग पग पर पथरीले ,
 अभी तो दूर है मंजिले।

होती आंख मिचोली अनायास है ,
कभी दूर तो कभी तू लगती पास है ,
न मिलने पर हो जाते है उदास है ,
फिर भी करते बार बार प्रयास है ,
सच से साकार सपनों से सिलसिले ,
चुभते कम है पथ पग पग पर पथरीले,
अब दूर न होगी मंजिले।

श्रम के तप से तपता ताप है ,
अग्नि परीक्षा की बेदी हुई राख है ,
सभी बाधायें जलकर ख़ाक है ,
किन्तु परन्तु की दुविधा समाप्त है ,
घटि घनघोर घटायें आसमां है नीले
नहीं लगते पथ पग पग पर पथरीले,
अब तो मुट्ठी में मचलेंगी मंजिले ,
अब दूर न होगी मंजिले।