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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

हर वक्त जब यूं #मुस्कुराकर चले जाते हो !

हर वक्त जब यूं #मुस्कुराकर चले जाते हो , 

न जाने कितने दिलों की #उलझने बढ़ाते हो । 


ठहरा भी करो कभी पल दो पल,

गुफ्तगू हो जाये कुछ तो अगर , 

मिल जाये दिल को कोई डगर ,

पता नहीं  दिलों  की सदा को कब समझ पाते हो ।


आवो हवा जमाने कि जो रही है मिल , 

कुछ इस तरह से हो गई है कातिल , 

कि घायल हो रहे है अब तो कई दिल , 

पता नहीं दिलों पर और कितना सितम ढाते हो  ।


माना कि मुस्कुराकर मिलना आदत है ,

गम की दुनिया से छेड़ी इक बगावत है , 

पर ये मुस्कुराहट कितनों की बनी चाहत है , 

पता नहीं ऐसी  दीवानगी को कितनी और बढ़ाते हो । 


हर वक्त जब यूं मुस्कुराकर चले जाते हो , 

न जाने कितने दिलों की उलझने बढ़ाते हो । 

18 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२७-०२-२०२१) को 'नर हो न निराश करो मन को' (चर्चा अंक- ३९९०) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही बढ़िया लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय ,मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए एवं बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. https://deep-007.blogspot.com/2021/02/blog-post_26.html

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय ओंकार सर, कुलदीप सर एवं राय सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय सिन्हा सर एवं खरे सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह बहुत खूब लिखा है, बधाई हो, हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर शब्दों में दिल की वात जुबां तक आयी है :-)

    जवाब देंहटाएं
  9. शायद सर , बहुत धन्यवाद आपके बहुमूल्य विचार हेतु ।

    जवाब देंहटाएं
  10. आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर सृजन।
    मोहक/उम्दा।

    जवाब देंहटाएं
  12. मन की वीना और गौरव सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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