समझ है ,
न सजग है ,
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#बेपरवाह सी ,
ये #चाहत है ।
सही है ,
क्या गलत है ,
परिणाम इसका ,
किस करवट है ।
खुश है ,
या आहत है ,
पता नहीं ,
मन की क्या #हालत है ।
ये लत है ,
या आदत है ,
कहता है जमाना ,
ये तो #पागलपन की हद है ।
जरूरत है ,
न मदद है ,
लगता है जमाना ,
हुआ मुझसे अब अलग है ।
न दुश्मन कोई ,
न कोई शुभचिंतक है ,
साथ मेरे वो है ,
या मेरा रब है ।
समझ है ,
न सजग है ,
बेपरवाह सी ,
ये चाहत है ।
Good sir ji👌👌👌👌🌹
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