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बुधवार, 27 दिसंबर 2023

#बेपरवाह सी , ये #चाहत है ।

समझ है , 

न सजग है ,

इमेज गूगल साभार 

#बेपरवाह सी ,

ये #चाहत है ।


सही है , 

क्या गलत है ,

परिणाम इसका , 

किस करवट है ।


खुश है ,

या आहत है ,

पता नहीं ,

मन की क्या #हालत है ।


ये लत है ,

या आदत है ,

कहता है जमाना ,

ये तो #पागलपन की हद है ।


जरूरत है ,

न मदद है ,

लगता है जमाना ,

हुआ मुझसे अब अलग है ।


न दुश्मन कोई ,

न कोई शुभचिंतक है ,

साथ मेरे वो है ,

या मेरा रब है । 


समझ है ,

न सजग है ,

बेपरवाह सी ,

ये चाहत है ।

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