सूर्य किरण तेज
लिये है जल सहेज
धर लालिमा भेष
सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।
शीतलता का है प्रवेश
अवनी अंबर करते भेंट
सूर्य अस्त बेला विशेष ।
हर्षित है हृदय
पुलकित है नेत्र
पाकर सानिध्य सुखद
सूर्य अस्त परिवेश ।
भभूती तमस लपेट
आतुर निशा नृपेश
जमाने प्रभुत्व प्रदेश
कर सूर्य अस्त आखेट ।
***दीपक कुमार भानरे***
Nice One!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर।
हटाएंअति सुंदर सर जी 🌹
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 20 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय , मेरी रचना "सुंदर सूर्य अस्त समावेश" को इस सुंदर अंक में सम्मिलित करने हेतु बहुत धन्यवाद ।
हटाएंबहुत शुभकामनायें । सादर ।
वाह! सुन्दर सृजन!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय ।
हटाएंवाह! बहुत खूब।
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