रविवार, 16 फ़रवरी 2025

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।


सूर्य किरण तेज 

लिये है जल सहेज 

धर लालिमा भेष 

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।




ऊष्मा है निश्तेज

शीतलता का है प्रवेश

अवनी अंबर करते भेंट

सूर्य अस्त बेला विशेष ।




हर्षित है हृदय 

पुलकित है नेत्र

पाकर सानिध्य सुखद 

सूर्य अस्त परिवेश । 



भभूती तमस लपेट

आतुर निशा नृपेश

जमाने प्रभुत्व प्रदेश

कर सूर्य अस्त आखेट ।

                 ***दीपक कुमार भानरे***


9 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुंदर सर जी 🌹

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 20 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय , मेरी रचना "सुंदर सूर्य अस्त समावेश" को इस सुंदर अंक में सम्मिलित करने हेतु बहुत धन्यवाद ।
      बहुत शुभकामनायें । सादर ।

      हटाएं

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