शनिवार, 10 मार्च 2018

खिचे# चले आते हैं तेरीओर# ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी# अदा# है!

खिचे# चले आते हैं तेरीओर# ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी# अदा# है!

मिल ही जाते हो यूँ ही जब तब,क्या तेरा मेरा कोई वास्ता है ।
बढ़ने लगी है गुफ्तगू रोज,फिर भी कहने को और बचा है ।
खिचे चले आते हैं तेरी ओर ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी  अदा है ।
एक सुकून देता है तेरा साथ,लगता है तू कोई इक फरिश्ता है ।
मुलाकातों से भरता नहीं दिल,यादों का ही रहता आसरा है ।
तेरी ही फ़िक्र में रहते है अब तो,बन गया है ये कोई रिश्ता है ।
तमन्ना है रब से अब 'दीप' यही,हो जाये एक तेरी मेरी सदा है ।

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