गुरुवार, 25 जुलाई 2019

मत# देखा# करो ऐसे !


                                                              इमेज गूगल साभार

मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

नशीले नीले नैनो का नशा  ,
काले केशों का कहर ढाता कहकशा ,
बार बार बहकती बाहें करती बयाँ ,
निहारती नजरें नहीं नादाँ ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

आहिस्ते से अंदर उतर आयी अदा ,
दिल में दस्तक देती हंसी दास्ताँ ,
किस कदर कहर बरपा कहाँ कहाँ ,
दिल दरख्वास्त देता है दसियों दफा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां।  

मन माफिक मौसम है महरबाँ ,
जिद जीने की जबरदस्त  जवाँ ,
गर गुमराह होकर कर गए गुस्ताखियाँ ,
तकदीर का तकदीर से है तकाजा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Clickhere to comment in hindi