बुधवार, 17 जुलाई 2019

एक विनती# सुनलो# हमारी !

एक विनती# सुनलो# हमारी !
एक विनती सुनलो हमारी ,
शीतल कर दो धरती सारी .
त्राहि कर रहे सब नर नारी ,
रवि रश्मि बनी चिंगारी .
अंकुरित हो फसलों की क्यारी,
राह निहारती सब तुम्हारी .
चिंता में दिन रात गुजारी ,
धरती पुत्र की समझो लाचारी .
पशु पक्षियों को प्यास ने मारी ,
सर सरिता सब सूखी सारी .
माना इंसा की है कारगुजारी ,
प्रकृति संग की है चोट करारी .
भूल कर अपनी जिम्मेदारी ,
सुखो के लिये की है मारामारी .
अब प्रकृति संग निभायेंगे यारी ,
माफ़ करो सब गलती हमारी .
शीतल कर दो धरती हमारी ,
हम सब भूवासी रहेंगे आभारी ,
एक विनती सुन लो हमारी . 

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