है कहते ये तो #ईश्वर की है #मर्जी ।
हैं बात बड़ी ये बेदर्दी ,
जीवन अब तक साथ बिताये ,
सुख दुख में रहे एक दूजे के साये ,
सुखद भविष्य के कितने स्वप्न सजाये,
पर एक पल में दुनिया उजड़ दी ।
सांसों के वो खेल अजब थे ,
हम सब भी बहुत सजग थे ,
न दवा काम आई न दुआ ,
एक पल में सांसे उखड़ दी ।
उजाड़ कर जमीं का घर,
बसा दिया आसमां के ऊपर ,
जो अब न आएंगे लौटकर ,
ए ईश्वर कुछ तो करते रहम जी ।
कहते है इतना ही साथ लिखा था ,
इतना ही जीवन भाग्य बदा था ,
ईश्वर का सब ये खेल रचा था ,
इन बातों से बस मन की मिला भरम जी ।
ये बात बड़ी ये बेदर्दी ,
है कहते ये तो ईश्वर की है मर्जी ।
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