आसमान में आये बादल ,
काले काले श्यामल श्यामल ।
गरज रहे मस्ती में बादल ,
चमक रही बिजली भी कड़कड़ ।
गर्जना से जब होता कंपन ,
बढ़ा जाती है दिल की धड़कन ।
एक साथ जब बरसी बूंदे ,
चारों दिशा टिप टिप से गूंजे ।
कोई लगा हाथों से छूने ,
कोई भरता अंजुली में बूंदे ,
छपाक कर गड्डे में कूदे ,
तो भीग भीग कर मस्ती में झूमे ।
मिट्टी की भीनी खुशबू आई ,
धरती की जल से गोद भराई ।
गर्मी तो अब हुई पराई ,
ठंडी हवा बही सुखदाई ।
भर दिये प्रकृति का आंचल ,
आसमान से आये बादल ।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आदरणीय रविन्द्र सर मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर सम्मिलित कर आमंत्रित करने के बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपका यह मंच साहित्य सृजन के विभिन्न आयामों के प्रस्तुतीकरण और सूचित होने का उचित और सुन्दर मंच है ।
निसंदेह चर्चा मंच का यह भागीरथी प्रयास सृजन कर्ताओं को विभिन्न आयामों में सृजन हेतु उत्साहित और प्रेरित करेगा ।
बहुत शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनुराधा मेम , विन भारती जी एवं संदीप सर , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय अभिलाषा मेम , बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।
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