सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

बस इतना सा #फसाना है।



चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है । 

 

फूलों की खुशबू भी  ,

अब करती नहीं  दीवाना है ।

उनकी सांसों की खुशबू ही

करे मौसम  सुहाना है । .........  

 

महफिल भी सितारों की ,

अब लगती वीराना है ।

साथ ही उनका अब तो ,

महफिलों का खजाना है ।.........

 

चाँदनी रात का शबाब भी ,

अब दिल  को नहीं गवारा है ।

चमक उनकी आंखे की  ,

दीप दिवाली का नजारा है । .........

 

समंदर से भी गहरा  ,

लगाव यह हमारा  है ।

चाहत अनंत आकाश है  ,

और चाहत ही सरमाया है । .........

 

चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है ।

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021

आओ खिंचवायें कुछ #तस्वीर ।



लिये मुस्कुराहटों के तीर ,

छुपाकर अपने मन की पीर,

आओ खिंचवायें कुछ तस्वीर ।


गर चेहरे में है दाग कोई ,

या कील मुहांसे की हो भीड़,

सौन्दर्य प्रसाधनों से एब छुपाकर ,

चेहरे पर चढ़ायें सुंदरता का नीर ।


कैमेरा में फ़्लैश बढ़ाकर ,,

रंगों से सामंजस्य बनाकर ,

अच्छा सा बैकग्राउंड लगाकर,

तस्वीर की बदले तासीर  ।


सुन्दर से एहसासों से भरकर,

दो शब्दों का कैप्शन लिखकर,

सोशल मीडिया की तश्तरी में धरकर,

अपनों को बांटे खुशियों की अबीर ।


लिये मुस्कुराहटों के तीर ,

छुपाकर अपने मन की पीर,

आओ खिंचवायें कुछ तस्वीर ।

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2021

हरण हो , हरण हो !

 💐आदरणीय💐

🙏दशहरा के पावन पर्व पर सियाराम जी 

की कृपा से हम सभी के जीवन से🙏


🔥हरण हो हर दुखों का ,

🔥हरण हो हर दुर्दशाओं का ,

🔥हरण हो हर दुर्गणों का ,

🔥हरण हो हर दुविधाओं का ,

🔥हरण हो हर दिक्कतों का,

🔥हरण हो हर दरिद्रताओं का ,

🔥हरण हो हर दुष्टों  का ,

🔥हरण हो हर दु साहसियों का ,

🔥हरण हो हर दुष्ट आत्माओं का 

🔥हरण हो हर दुश्मनों का ।


🌻दशहरा पर्व की कोटि कोटि मंगलकामनाएं । 🌻

💐💐जय सियाराम जी की ।🙏🙏

रविवार, 10 अक्टूबर 2021

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ।

 

इमेज गूगल साभार 

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


तू शक्ति रूपेण, तू ममतामयी ,

तू दुर्गति नाशिनी, तू रक्षा दायिनी,

तेरी शरण सबकी छत्र छाया ।


सच्ची भक्ति , सच्ची श्रद्धा ,

सच्चे मन से करके पूजा ,

तेरे दर पर सब कोई आया ।


दरबार सजा , भक्तों से भरा ,

गूंज रहा माता का जयकारा ,

मां की ज्योति का हर कलश सजा ।


हो जगत कल्याण , भरे धन धान्य ,

हर मनोकामना हो जाये मान्य ,

खुशियों से भर जाये सारी धरा ।


हे जगदम्बे मां , अपरंपार महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

किसका है इसमें कसूर !

इमेज गूगल साभार

साहिल का यह है गरूर ,

या ये लहरों का है दस्तूर , 

किसका है इसमें कसूर ,

जो मिलकर भी हो जाते हैं दूर ।


तूफ़ानों की संगत में आकर ,

लहरों को छाया कैसा सरूर ,

चीर कर साहिल की सीमा ,

हो जाती साहिल से दूर ।


पाकर ऊंची ऊंची दीवारें ,

साहिल भी हो जाता ऐसा मगरूर , 

लहरें टकराकर होती चूर ,

मौन खड़ा देखें साहिल दूर ।


गर न सुनती तूफ़ानों की लहरें ,

गर साहिल न पाते दीवारों के पहरे ,

लहरें साहिल संग लेती फेरे ,

कभी न होते एक दूजे से दूर । 


साहिल का यह है गरूर ,

या ये लहरों का है दस्तूर , 

किसका है इसमें कसूर ,

जो मिलकर भी हो जाते हैं दूर ।