शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

यूं न दिखाया करो जमाने को अपने #जख्म !

इमेज गूगल साभार


यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम


सामने तो बनते हैं हमदर्द ,

पर पीछे पीठ कुरेदते हैं जख्म ।

जख्म तो सहलाते नहीं है ,

पर बढ़ा जाते हैं दर्दे गम ।


साथ खड़े रहने का तो यहां ,

जमाना यूं ही निभाता रसम ।

मुश्किलों में जो ढाल बन जाये ,

वो लोग होते हैं बहुत कम ।


खुद ही उलझना पड़ता यहां ,

हालात कितने भी ढाये सितम ।

हर हमराही हमदर्द  होता है,

मन से निकाले यह वहम ।


यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम ।

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

वो #मशहूर कर गए !

 

इमेज गूगल साभार

वो #मशहूर कर गए ,

मुझे #बदनाम करते करते ।

यूं जुबान पर चढ़ गए ,

उनके हर जिक्र में पलते पलते ।


एक सुकून सा पाते हैं वो ,

जब करते हैं बुराई मेरे नाम की ,

यूं ही मरहम बन गये हम ,

उनकी नफरतों में जलते जलते ।


चमक उठती है आंखें उनकी ,

जब करते हैं तमन्ना मेरे नाकाम की ,

यूं ही चिराग बन गये हम ,

उनकी आंखों में खलते खलते ।


उनको नापसंद कुछ मेरी आदतें ,

बनी जरिया राहत और आराम की ,

शुक्र है हमदर्द हो गये हम ,

उनकी नापसंदगी में पलते पलते ।


वो शुक्र गुजार कर गए ,

मुझे बदनाम करते करते ।

हम जुबान पर चढ़ गए ,

उनके हर जिक्र में पलते पलते ।