जब स्वार्थ का बादल हो घनघोर ,
जब अपने ही साथ रहे हो छोड़ ,
तब अपना अधिकार पाने के लिए ,
धर्म और कर्तव्य निभाने के लिए ,
भगवान को भी करना पड़ा पलायन ,
चाहे #महाभारत हो या #रामायण ।
सबको होता है दुख और रंज ,
चाहे वो राजा हो या रंक ,
पर अपना वचन निभाने के लिए ,
बड़ों की आज्ञा सर सजाने के लिए ,
भगवान भी भटके हैं वन वन ,
चाहे महाभारत हो या रामायण ।
सबको होता है अपने से मोह ,
कोई न चाहे अपनों से बिछोह ,
वैभव और ऐश्वर्य पाने के लिए ,
महत्वकांछा को फलीभूत कराने के लिए ,
अधर्म और असत्य से करते सृजन,
चाहे महाभारत हो या रामायण ।
जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,
धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,
अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,
विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,
भगवान को भी करना पड़ा रण ,
चाहे महाभारत हो या रामायण ।