ऐसा क्या कर जाऊं मैं ,
जो तेरी नजर को भाऊं मैं,
तू ही बता तेरी क्या #चाहत ,
जिससे हो जाये दिल को #राहत ।
जब से दी है तूने दस्तक ,
सोचता हूं तुझे ही जब तक ,
कब मिल जाये तेरी एक झलक ,
जिससे मिल जाये दिल को राहत ।
जब तुमने मुझसे नजर मिलाया ,
मुझको यह #अहसास दिलाया ,
मेरी भी है एक #अहमियत ,
जिससे मिली है दिल को राहत ।
खुद से खुद ने कर ली #बगाबत ,
मैं जो था वह रहा न मैं अब ,
बदल गई अब मेरी #शख्सियत ,
इससे मिली क्या दिल को राहत ।
जो तुम्हे पसंद वो दुनिया रची ,
अब न और कोई कसर बची ,
और भला क्या बदलूं आदत ,
जिससे हो जाये दिल को राहत।
*** "दीप"क कुमार भानरे***
Nice one :-
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 जनवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 जनवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
बहुत खूब 👌👌👌
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी मेम,
जवाब देंहटाएंइस रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 जनवरी 2023 में साझा करने के लिए बहुत ....धन्यवाद और आभार ।
सादर।
आदरणीय संगीता मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।