मुझे तुम #अच्छे नहीं लगते ,
जब हो जाते तुम #नाराज,
और उठा लेते सर पर आकाश ,
फिर सुनते नहीं कोई बात ।
मुझे तुम अच्छे नहीं लगते ,
जब लेकर हाथों में हाथ ,
तुम चलते नहीं मेरे साथ ,
कदमों को मेरे कर देते अनाथ ।
मुझे तुम अच्छे नहीं लगते ,
जब भीगते नहीं भरी #बरसात ,
जब कूदते नहीं पानी में छपाक,
बस कहते #तबियत हो जायेगी नासाज ।
मुझे तुम अच्छे नहीं लगते ,
जब करते अच्छे काज ,
मिलते नहीं #तारीफों के अल्फाज,
पर कमियों पर मिलती झट #डांट।
मुझे तुम अच्छे नहीं लगते ,
जब होता चिंता भरा #ललाट,
रहते गुमसुम और #उदास ,
होठों पर लेते चुप्पी साध ।
मुझे तुम अच्छे नहीं लगते ,
जब डालते नहीं मुझे कोई #घास,
देखकर भी कर देते नजरअंदाज,
और समझते खुद को #लाट साब।
****दीप"क कुमार भानरे****