घाव दे जाते हो कितने ऐ कातिल ,
कि गुजरते है लम्हे कई होने में फिल,
मिलकर बिछड़ने से डरता है ये #दिल ,
इसलिए तो मिलने की #आरजू की है किल।
तूफान सा उठता है टूटते है #साहिल ,
अहसासों की आग होती नहीं चिल,
#दीदार की #खुशी में होंठ जाते है सिल,
सोचे ख्याल सारे हो जाते है निल।
मिलकर जो तुमसे हुआ था #हासिल ,
बिछड़कर तुमसे लगता है सब निल,
बढ़ जाता है कुछ और ही दर्दे दिल ,
इसलिए तो मिलने की आरजू की है किल।
****"दीप"क कुमार भानरे****
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 फरवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम
आदरणीय पम्मी मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी इस लिखी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 फरवरी 2023 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
सादर ।
मन के एहसासों को बखूबी लिखा है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय जिज्ञासा मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य और उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
मिलकर जो तुमसे हुआ था #हासिल ,
जवाब देंहटाएंबिछड़कर तुमसे लगता है सब निल,
बहुत सुंदर...
वाह!!!
आदरणीय सुधा मेम ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य और उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।