रविवार, 12 फ़रवरी 2023

मिलने की #आरजू की है किल।



घाव दे जाते हो कितने ऐ कातिल ,

कि गुजरते है लम्हे कई होने में फिल,

मिलकर बिछड़ने से डरता है ये #दिल ,

इसलिए तो मिलने की #आरजू की है किल।


तूफान सा उठता है टूटते है #साहिल ,

अहसासों की आग होती नहीं चिल,

#दीदार की #खुशी में होंठ जाते है सिल,

सोचे  ख्याल सारे हो जाते है निल।


मिलकर जो तुमसे हुआ था #हासिल ,

बिछड़कर तुमसे लगता है सब निल,

बढ़ जाता है कुछ और ही दर्दे दिल ,

इसलिए तो मिलने की आरजू की है किल।

                  ****"दीप"क कुमार भानरे****

6 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 फरवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम

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  2. आदरणीय पम्मी मेम,
    मेरी इस लिखी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 फरवरी 2023 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सादर ।

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  3. आदरणीय जिज्ञासा मेम ,
    आपकी बहुमूल्य और उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।

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  4. मिलकर जो तुमसे हुआ था #हासिल ,

    बिछड़कर तुमसे लगता है सब निल,
    बहुत सुंदर...
    वाह!!!

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  5. आदरणीय सुधा मेम ,
    आपकी बहुमूल्य और उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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