निकलो न आज घर से ,
न करो आज कोई काम ,
बस करके भोजन या जलपान ,
घर पर ही करो आराम ।
क्या मन में ऐसी चाह जगी,
जो हो जाये पूरी थोड़े से ही ,
न सोचो ज्यादा नफा #नुकसान ,
झट दे दो उसको अंजाम ।
बरस रही बारिश ,
और भीगने की हुई ख्वाइश ,
न सोचो सर्दी जुकाम ,
बूंदों से खेलो #खुलेआम ।
फुरसत की कोई एक शाम ,
लेटकर खुले आसमान ,
सोच कर किसी आकृति से ,
#बादलों से करें मिलान ।
जब याद आ जाये #बचपन ,
और खेलने का हो मन ,
तो भूलकर सारा बड़ापन ,
खूब मचाओ बच्चों संग #हुडदंग ।
छोड़ कर सारे काम ,
कभी पहुंचे #ईश्वर धाम ,
थोड़ा #योग और #ध्यान ,
जरा मन को दे आराम ।
कुछ #मन का हो जाये !
#हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनायें।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय पटेल मेम, आपकी सुंदर एवम बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
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