बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

क्यों न कहा अपने दिल की #दास्तां !

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क्यों न कहा अपने दिल की #दास्तां ,

कुछ तो करते हम दर्दे दिल की #दवा,

या तो उठा लेते सर पर #आसमां,

या तो बन जाते #जमीं सा #आसरा ।


क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां ,

हम तो तकते रहते थे तुम्हारा रास्ता ,

इसी बहाने मिलने का मिलता तो मौका,

गुजरता वक्त  साथ आपके कुछ तो जरा ।


क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां,

करते  तुम्हारे लिये #सुकून की #दुआ,

मांगते तुम्हारे लिये अपना भी #हिस्सा,

चढ़ते तुम्हारे लिये #मंदिर की #सीढियां।


क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां,

#दुशवारियों का कुछ हल तो निकलता,

कुछ तो #संवरती उलझे मन की दशा ,

#संभलता मन  आहिस्ता आहिस्ता ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. Such hai... Man me chhupaye rakhkar puzzled hone se behtar to Kai baar man ka gubaar Nikaalne dena achha hota hai. Obviously *Baat karne se baat banti hai*... :-)

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    1. आदरणीय सर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .

      हटाएं
  2. आदरणीय यशोदा मेम मेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आधार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. आदरणीय मेम आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय सर आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .

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  5. उत्तर
    1. आदरणीय सर आपकी प्रशंसा मयी टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .

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  6. उत्तर
    1. आदरणीय सर आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद . सादर .

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