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#आराम कहां है जीने में ,
जब #आग लगी हो #सीने में ।
धधकती है #ज्वाला अंदर ,
लेकर #हौसलों का #समंदर ,
हार न माने तब तक ,
कतरा कतरा #खून का ,
बह न जाये #पसीने में ।
पर्वत क्या, पहाड़ क्या ,
दुश्मनों की #दहाड़ क्या ,
#खाक छानेंगे तब तक ,
खप न जाये जिंदगी यह,
#मुश्किलों का #लहू पीने में ।
#सहूलियतों से वास्ता नहीं,
पसंद सीधा साधा रास्ता नहीं ,
तकलीफों से #ताल्लुकात तब तक,
#हौसलों #हुंकार न भरे जब तक,
मंजिलों के चढ़ सीने में ।
आराम कहां है जीने में ,
जब आग लगी हो सीने में ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 25 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम,
हटाएंमेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" जैसे प्रतिष्ठित मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार , सादर ! !
बहुत शानदार
जवाब देंहटाएंऔर उत्साह वर्धनिय हैं
आदरणीय अनूप सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआदरणीय जोशी सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआदरणीय हरीश सर , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंआराम कहां है जीने में ,
जब आग लगी हो सीने में ।
बहुत सुंदर सृजन
आदरणीय सुधा मेम , आपकी उत्साह वर्धन हेतु दी गयी बहूमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद , सादर .
हटाएंबहुत सुदर रचना
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