जुदा है उसकी #आंखें ,
नीली नीली सी आंखें ,
गीली गीली सी आंखें ,
निकली जैसे समंदर में नहाके ।
जुदा है उसकी #बातें ,
कहती सब अंदाजे बयां से,
फूलों से लफ्ज़ जुबापे,
निकले जैसे शहद में भिगाके ।
जुदा है उसकी #सांसें ,
जब कभी वो पास आते ,
एक तूफान सा उठाके ,
रह जाते सांसों में समाके ।
जुदा है वो हर #अदा से ,
मुस्कान चेहरे पर सदा से,
चुके न कोई कायदा से ,
रहती वो बस रस्मों वफा से ।
बहुत सुन्दर मधुर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय आलोक सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय हरीश सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंअति सुन्दर सर जी👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय देवेश सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंबहुत खूब 👌👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय रूपा मेम , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंअति मनमोहक रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर।
आदरणीय स्वेता मेम , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय जोशी सर , आपकी बहुमूल्य एवम उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंआदरणीय पम्मी मेम , मेरी इस रचना को " पांच लिंको के आनद " के सम्मानित मंच में स्थान देने हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
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