लाऊं कहां से ऐसी #गली,
#गुजरे जिस पर तू अच्छी #भली ।
चाहे न हो #रात ढली ,
या है कोई #सुनसान गली ,
मना न हो जहां जाना पगली ,
मिले न जहां #भेड़ियों की #बिरादरी ।
लाऊं कहां से ऐसी #कार्यस्थली,
ले सके थक कर जहां तू एक #झपकी ।
एकांत में भी जहां मिले #बेहतरी,
जहां #भरोसे को न लगे #हथकड़ी,
मिले न कोई वहां #वहशी #जंगली ,
#बेरहमी से न जाये कभी #मसली ।
लाऊं कहां से मन में #तसल्ली ,
सामने नजरों के जब तक न मिली ।
घर से तू जब बाहर निकली ,
रहती मन में एक #बैचेनी
रहती बहती #आशंका की #नदी,
लौट न आये जब तक भली भली ।
बताऊं तुझे मैं बात एक ही ,
अपनी #लड़ाई लड़ना है खुद ही ।
#हुंकार भर गर #कमर #कसली,
#ज्वाला बन, बनी #अगनी,
#काली बन तू बनी #मर्दनी ,
कि #हिम्मत न हो किसी की कभी ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 26 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, इस रचना को पांच लिंको के आनद में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद । सादर ।
हटाएंGood 👍
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर ।
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर, आपकी सुंदर प्रतिक्रिया देने हेतु ।
हटाएंमर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेम ,आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु ।
हटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेम, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु । आपको भी जन्माष्टमी की बहुत शुभकामनाएं ।
हटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु । आपको भी जन्माष्टमी की बहुत शुभकामनाएं ।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु । आपको भी जन्माष्टमी की बहुत शुभकामनाएं ।
हटाएंबहुत कठिन है स्त्री को पूर्ण सुरक्षा देना !
जवाब देंहटाएंयुग युग की यही कहानी है.
सही कहा मेम , आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत धन्यवाद ।
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