हुआ #सबेरा
छोड़ बिस्तर का डेरा
#बच्चों की #पलटन ने
आंगन में डाला डेरा ।
तो कभी आंखों को तरेरा
हो हल्ला और बखेड़ा
करते छुटकू और शेरा ।
पल में सुलह कर जाता
कुछ पल का खेला
टोली में उनकी दिखता नहीं
कि था पहले कोई झमेला ।
बुरा किसी से मानते नहीं
चाहे डांटो का कितना हो थपेड़ा
मन निष्कलंक और न सोच तंग
न रखते दुख का घेरा ।
हुई शाम "दीप"
समेट मस्ती का डेरा
#बच्चों की #पलटन अब
लौट आई अपने अपने #बसेरा ।
दीपक कुमार भानरे
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शुक्रवार 29 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर , मेरी लिखी रचना "बच्चों की #पलटन " को गरिमामय मंच पर स्थान देने के लिये सादर धन्यवाद एवं आभार ।
हटाएंसादर ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद सर ।
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
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