सूर्य किरण तेज
लिये है जल सहेज
धर लालिमा भेष
सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।
शीतलता का है प्रवेश
अवनी अंबर करते भेंट
सूर्य अस्त बेला विशेष ।
हर्षित है हृदय
पुलकित है नेत्र
पाकर सानिध्य सुखद
सूर्य अस्त परिवेश ।
भभूती तमस लपेट
आतुर निशा नृपेश
जमाने प्रभुत्व प्रदेश
कर सूर्य अस्त आखेट ।
***दीपक कुमार भानरे***