गुरुवार, 29 मार्च 2018

अब तो #इंतज़ार में ही #नफा है !

अब तो #इंतज़ार में ही #नफा है !

गुजर जाते हैं हर बार सामने से नजर मिला न सका है ।
वो भी तो कभी कुछ कहते नहीं न जाने क्या रजा है ।
कह  सकूँ दो बातें उनसे  कोशिश भी की कई दफा  है ।
मेरी  नादानियां कहीं ऐसे ही उन्हें  कर न दे खफा है ।
नाराजगियां उनकी कहीं  यूँ  ही न बन जाये सजा है ।
वापिस खीच लेता  हूँ कदम कहीं हो न जाये खता है ।
समझ न सके हाले  वफ़ा वो  इतनी तो नहीं नादां है ।
हो नजरें इनायत उनकी अब तो इंतज़ार में ही नफा है ।
सुकूँ अहसासों के लिए 'दीप' करते ख़ुदा का सजदा है ।
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गुरुवार, 22 मार्च 2018

दिल# में न जाने कितने गम# छुपाये रखे सीने# में !

दिल# में न जाने कितने गम# छुपाये रखे सीने# में ।



यहाँ मिलता है हर शख्स मुस्कराहट के साथ,
दिल में न जाने कितने गम छुपाये रखे सीने में ।
लड़ता है वक्त बेवक्त आती परेशानियों के साथ ,
मशरूफ हो जाता कुछ इस तरह जिंदगी जीने में ।
मिलता है मौका तो खुश हो लेता हैं अपनों के साथ ,
हौसले यूं ही कम न हुये परेशानियों के पसीने में ।
ढ़ूढ़ते रहते हैं हल मुसीबतों का समाधानो के साथ ,
कभी मंदिर मस्जिद तो कभी मयखानों के पीने में ।
संघर्ष करते 'दीप' हैं अच्छे दिनों की उम्मीदों के साथ,
बमुश्किल होती है चार दिन की चांदनी साल महीने में ।
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शुक्रवार, 16 मार्च 2018

और न ही हमारा आँगन परिंदों का ठिकाना ही रहा !


न फूलों की रंगीनी रही न ही खुशबु रही ,
न ही वो ठंडक लिए खुशनुमा मौसम सुहाना ही रहा ।
न तो फूल और न ही क्यारियां रही ,
और न ही  हमारा आँगन परिंदों का ठिकाना ही रहा ।
न तो वक्त है और न ही वो जगह रही,
कहाँ वो पंछियों के दानापानी देने का जमाना ही रहा ।
जो बची थी आसपास थोड़ी जगह ,
वो आजकल कबाड़ और वाहनों का आशियाना ही रहा ।
काश बचा लेते इनके लिए जगह और समय ,
वर्ना बाद पछताने का 'दीप' यही एक बहाना ही रहा ।

शनिवार, 10 मार्च 2018

खिचे# चले आते हैं तेरीओर# ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी# अदा# है!

खिचे# चले आते हैं तेरीओर# ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी# अदा# है!

मिल ही जाते हो यूँ ही जब तब,क्या तेरा मेरा कोई वास्ता है ।
बढ़ने लगी है गुफ्तगू रोज,फिर भी कहने को और बचा है ।
खिचे चले आते हैं तेरी ओर ,जरूर तुझमे ऐसी हंसी  अदा है ।
एक सुकून देता है तेरा साथ,लगता है तू कोई इक फरिश्ता है ।
मुलाकातों से भरता नहीं दिल,यादों का ही रहता आसरा है ।
तेरी ही फ़िक्र में रहते है अब तो,बन गया है ये कोई रिश्ता है ।
तमन्ना है रब से अब 'दीप' यही,हो जाये एक तेरी मेरी सदा है ।

मंगलवार, 6 मार्च 2018

कोशिश# हो लक्ष्य# को छोटा करने या बदलने# की !

कोशिश# हो लक्ष्य# को छोटा करने या बदलने# की !
जब लड़खड़ा जाते हैं लक्ष्य का पीछा करते करते,
एक कोशिश होती है फिर संभलकर चल पड़ने की,
कमियों और कारणों के निराकरण और सुधार से ।
जब नही मिलती सफलता बार बार के प्रयासों से ,
कभी सोचना पड़ता है की कमी है मेरे प्रयासों की,
या फिर नहीं है समर्पण पूरी लगन और क्षमता से ।
हो सकता की हो गया लक्ष्य बड़ा मेरी क्षमताओं से,
ऐसे हाल में कोशिश हो लक्ष्य को जरा छोटा करने की,
या  करें एक और नई शुरुआत लक्ष्य को बदलने से ।

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

शुभमंगल हो होली का त्यौहार !


जल जाये कलह और क्लेश ,
साथ होलिका दहन के इस बार ।
 मिट जाए इस धरा का सूखा ,
ऐसे भिगोये  पिचकारी की धार ।
गुझिया की मिठास के संग  ,
जीवन हो खुशियों से  सरोबार।
मस्ती और उल्लास के साथ ,
शुभमंगल हो होली का त्यौहार ।