कर खुद को कौशलमंद इतना ,
तकनीकी ज्ञान का पहनकर चस्मा ,
प्रशिक्षण लें कौशल बढ़ाने के लिए ,
हाथों को मिले नये हुनर की क्षमता ।
कर खुद को कौशलमंद इतना ,
सीख कर मेहनत की आग में तपना,
बन जा शागिर्द हुनर बढ़ाने के लिए ,
कौशल को मिलेगी परिपक्वता ।
बना खुद को असरमंद इतना ,
हर काम को पड़े तुमसे ही वास्ता ,
करें हर काम अनुभव पाने के लिए ,
हाथों में आयेगी प्रवीणता ।
बना खुद को कौशलमंद इतना ,
बेगारी को भी क़दमों में पड़े झुकना ,
मचेगी होड़ तुम्हे आजमाने के लिए ,
अवसरों की बढ़ जाएगी प्रचुरता ।
बना खुद को कौशलमंद इतना ,
जोड़कर कौशल विकास से रिश्ता ।
सुंदर सर जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुंदर आह्वान करती रचना।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भारद्वाज मेम सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंमेरी प्रविष्टि् की चर्चा शनिवार (07-08-2021) को "नदी तुम बहती चलो" (चर्चा अंक- 4149) पर शामिल करने के लिये , बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
आदरणीय ओंकार सर , संदीप सर एवं मन की वीणा सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में पधारकर उत्साहवर्धक और प्रेरणा दायक सकारात्मक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
वाह!बहुत बढ़िया सर।
जवाब देंहटाएंसादर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सैनी मेम ,
मेरे ब्लॉग में पधारकर उत्साहवर्धक और प्रेरणा दायक सकारात्मक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
सार्थक संदेश और प्रेरणा देती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह।🌼♥️
जवाब देंहटाएंआदरणीय जिज्ञासा मेम एवं पाण्डेय सर ,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में पधारकर उत्साहवर्धक और प्रेरणा दायक सकारात्मक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनुराधा मेम,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में पधारकर उत्साहवर्धक और प्रेरणा दायक सकारात्मक टिप्पणी हेतु बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
बहुत बहुत सुन्दर रचना
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