मन के अंदर कितने हो घाव,
फिर भी रखे कोमल स्वभाव,
मुश्किल में हो कितनी जीवन नाव,
फिर भी डिगे न इन के पांव ।
#ममता के #आंचल की छांव ,
सुरक्षा और #आश्रय का भाव ,
चाहे कितना हो आभाव ,
#अन्नपूर्णा बन करती पुराव ।
चलाती उंगली पकड़ पांव पांव,
जुबां को देती शब्द और सुझाव,
शिशु को देती रुचि और चाव,
ताकि उचित हो पोषण और बढ़ाव।
बल व शक्ति रूपेण #दुर्गा ,
समझ व ज्ञान रूपी #शारदा ,
स्नेह का अविरल निश्चल प्रवाह ,
प्रज्ञा, प्रीति , प्रथा, प्रतिभा ,
#नारी शक्ति अनंत अथाह ।
#महिला दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।