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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

यूं #जिंदगी के #आलम न होते #खफा !



दागों पर सजावटों  का लगा पहरा ,
हकीकतों पर डल रहा  है परदा  ।

कुटिल सी  मुस्कुराहटें  और अदा ,
पैदा कर रही है संशय और अंदेशा ।

इन  मुखोटों को मानकर सही चेहरा ,
बेफिक्र होकर जी रहे  है सब नादां ।

सजावटी आवरण में जो दाग था छुपा ,
वो अंदर ही अंदर एक नासूर सा पका ।

छुपा दाग जिंदगी के लिए बना धोखा ,
कारण एक गंभीर बीमारी का बना ।

अच्छा होता जब हमने दाग था देखा ,
उसी समय मर्ज मान, कर देते दवा ।

यूं जिंदगी के आलम न होते खफा ,
बस हर किस्सा होता सच्चा और खरा।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

मोमबत्ती# जलाकर# फिर आक्रोश# दिखाते हैं !



आओ इस बार भी मोमबत्ती जलाकर फिर आक्रोश दिखाते हैं ,
फिर तुम अपनी राह हम भी अपनी राह की और बढ़ जाते है ।

मीडिया भी खूब चीख चीख कर  इंसाफ इंसाफ चिल्लाते हैं ,
टी आर पी के चक्कर में सब भूल नई खबरों से चोंच लड़ाते हैं ।

हर बारदात के होने पर बेटियों पर और पाबंदियों बढ़ाते हैं ,
पर देर रात तक घूमते बेटों को कोई नई सीख नहीं दे पाते हैं ।

शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जो बच्चों में नंबरों की होड़ बढ़ाते हैं  ,
पर नैतिकता और अच्छे आचरण के अब कहां पाठ पढ़ाते हैं ।

अब तो 3जी और 4जी की डाटा स्पीड में मोबाइल चलाते  हैं
बच्चे बूढ़े और जवान और आसानी से अश्लील सामग्री पाते हैं ।

फ़ूहड़ और अश्लील होती फिल्मों पर उंगली नहीं उठाते हैं ,
परिवार संग साथ बैठकर ऐसी फिल्मों का खूब लुत्फ उठाते हैं ।

घटनाओं के घटने के बाद कड़े कानून बनाने की मांग उठाते हैं ,
पर सजा ना होने के कारण अब अपराधी  कहां खौफ खाते हैं ।

न सोच बदलती न हालात बदलते न कोई ठोस कदम उठाते हैं ,
फिर एक प्रियंका के जान मान को  दरिंदे तार तार कर जाते हैं ।

फिर मोमबत्ती जलाकर चीख पुकार कर आक्रोश दिखाते हैं ।
फिर तुम अपनी राह और हम अपनी राह की और बढ़ जाते हैं ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220894447420676&id=1524713766

रविवार, 24 नवंबर 2019

पत्थर# की पुकार !

                                इमेज गूगल साभार
उठा लो मुझे इन आवारा राहों से ,
न उछाला जाऊं इधर उधर बेकार ,
न खाऊ ठोकरें पग पग की बार बार ,
न लगे मुझसे राहगीरों को चोटों की मार ,
न बनू में हिंसक प्रदर्शनों का हथियार ।

कोई मिला दे मुझे नेक पनाहों से ,
जिसकी नजर पारखी और मन कलाकार ,
जो दूर करें मेरे सारे विकृति और विकार ,
जो तराश कर दे दे मुझे कोई आकार ,
जो लगा दे मेरे स्वरूप में चांद चार ।

हो जाये मेरा जीवन कृतार्थ अभारों से ,
बन जाऊं मैं भवनों का मजबूत आधार ,
या बढ़ा शोभा घरों की बन जाऊं श्रृंगार ,
विराज मंदिरों में बन जाऊं ईश्वरीय अवतार ,
आस्था और श्रद्धा से दिलों का बनूं करार ।
                               *** दी.कु. भानरे (दीप)***
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220798051010826&id=1524713766

शनिवार, 16 नवंबर 2019

चलो कुछ पत्थर# तो तबियत# से उछालें यारो# !

चलो कुछ पत्थर# तो तबियत# से उछालें यारो# !

चलो कुछ पत्थर तो तबियत से उछालें यारो ,
कोई तो जाकर सुराख करेगा यारो ।

पत्थर यूं ही वापस आये तो क्या ,
आसमां तक नहीं पहुंच पाये तो क्या,
सुराख नहीं भी कर पाये तो क्या ,
इस बात का ग़म तो नहीं होगा  कि ,
मैंने एक भी पत्थर आसमां में नहीं उछाले यारों ।

ये बात भी तो हो सकती है कि,
उस समय तबियत ही नहीं थी ,
वो पूरी ताकत से उछाला ही नहीं ,
तो आसमां में सुराग कैसे होता ,
तो भी आसमां में कुछ पत्थर तो उछाले यारों ।

ऐसा भी तो हो सकता है यारों ,
उछालने के लिये जो पत्थर चुने गए थे ,
वे सही आकार और वजन के नहीं थे ,
इसलिये आसमां में सुराख नहीं कर पाए ,
तो हमने गलत पत्थर आसमां में उछाले यारों ।

अगली बार सही पत्थर का चयन करेंगे,
जोश और होश को संभालते हुए  ,
पूरी ताकत और तबीयत से उछालेंगे,
जब तक कि आसमां में सुराख नहीं हो जाये,
और तब तक पत्थर आसमां में उछालेंगे यारों । 

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

सहला# रहे है वो# अब पसीने# से तर बाल# !

इमेज गूगल साभार 

वो धूप का कर इस्तकबाल ,
छत पर सुखाते है अपने गीले बाल,
सुनहरी धूप के आगोश में ,
तन मन उनका सुकुं से हुआ निहाल ।

रवि भी शनै शनै चल रहे है चाल ,
बढ़ा रहे है तपन होकर कुछ लाल ।

बढ़ती तपन से है लाल उनके गाल ,
अब पोछते है पसीना तन का ,
लेकर एक मखमली रुमाल ,
अब परेशां है वो होकर बेहाल ।

दरखतों में रुक गई है रवि की चाल ,
उनके तले शीतल छांव है कमाल ।

बेचैन दिल में उनके आया इक ख्याल ,
काश मिले कहीं ठंडी छांव का जाल ,
जा ठहरी नजरें उनकी इक दरख़्त में ,
पाने ठंडी छांव बढ़ चले कदमताल ।

दरख्तो के साये उन्हें मिला जो सुकून ,
सहला रहे है वो अब पसीने से तर बाल ।
            ****,दी.कु.भानरे (दीप) ****https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220683880356631&id=1524713766

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

ये मूड# क्या होता है ?


ये मूड क्या होता है ?
क्या यह अनिच्छा है काम के प्रति,
या फिर अरुचि की स्थिति ,
यह काम को टालने की है प्रवृत्ति ,
या बातों को करनी है अनसुनी ,
या चलानी है अपनी मनमर्जी ,
कोई काम जरूरी नहीं है अभी,
शरीर में है आलस्य की स्थिति ,
और हम कहते है कि मूड नहीं है अभी ।

ये मूड को क्या होता है ?
जब बन जाती है विषम परिस्थिति ,
अचानक सामने हो खतरनाक व्यक्ति,
आ जाए जानवर खूंखार या बहशी ,
जब मचल उठे यह प्रकृति ,
और भूकंप से हिल उठे धरती ,
लपटें आग की हो उठती ,
या बारिश के साथ बिजली हो कड़कती ,
तब भी क्या "दीप" छाई रहती है सुस्ती ,
क्या तब भी हम कहते है मूड नहीं है अभी ।
                  *** दीपक भानरे (दीप) ****

शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

बदलें# अपने हाथों# से तकदीर# !



कुछ नहीं होता भाग्य भरोसे, चाहे बैठ बहाये लाखों अश्रुनीर ,
नई तकनीक और कौशल ज्ञान से ,चढ़ते इंसा सफलता प्राचीर ।

असफल न हो अपने प्रयास हर वक्त ,लक्ष्यों को भेदे अपने तीर,
कौशल विकास और अभ्यास से , बन जायें अर्जुन से वीर ।

तकनीक ज्ञान की कुदाल चलाकर , दे धरती की छाती चीर ,
बह निकलेगा अवसर का दरिया , मिटेगी बेरोजगारी की पीर ।

नैया पार लगाते मांझी सबकी , पतवारों से जलधारा को चीर ,
औजार उपकरण ज्ञान पतवारें,लगायेगी नैया सफलता के तीर ।

अज्ञानता अकुशलता के तमस की , आओ अब तोड़ें   जंजीर ,
महारथी और हुनरमंद हाथों से , बदलें अपने समझ की तासीर ।

नई तकनीक और कौशल"दीप " से ,खींचे ज्ञान की नयी लकीर,
करें लकीरें किस्मत की छोटी , बदलें अपने हाथों से तकदीर ।
                                                             ***"दीप"***

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019

कोई दिल# ए नादान# मिल जाये !



चाहते है जमाने में लोग ,
 किसी का कुछ हो न हो ,  उनका  हर काम बन जाये ,
बाकी को मंजिल मिले न मिले , उनका एक मकाम बन जाये ।

चाहते है जमाने में लोग ,
अपना काम बनते तक , सलामत रहे दुनिया में सब ,
बाद दुनिया में कुछ रहे न रहे , चाहे तो शमशान बन जाये ।

जमाने में  लोगों को,
तकलीफ होती है  , जब लगता है वक्त दूसरों के कामों में ,
फिर काम होने में अपना , चाहे वक्त यह तमाम लग जाये ।

जमाने में लोगों को ,
सरोकार नहीं होता है कुछ भी  , किसी को कुछ मिले न मिले ,
पर उन्हें उनकी सहूलियत का , सारा सामान मिल जाये ।

चाहते है लोग इस जहान में  ,
बिक जाये उनकी  हर चीज  , महंगे से महंगे दामों में ,
पर  दुनिया की उन्हे हर चीज , बेमोल या बेदाम मिल जाये ।

लोग इस जहान में ,
देते रहते है नसीहते सबको , ईमानदारी से फ़र्ज़ निभाने की,
होते है दरकिनार कायदे "दीप",जब उनका काम निकल आये।

गर इस जमाने  में ,
खुदगर्जियों से ना मतलब  , कोई दिल ए नादान मिल  जाये,
तो दुनिया में जरूरतमंदों को , जरूरत का सामान मिल जाये ।https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220349395154710&id=1524713766

सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

सबकी प्रार्थना मातारानी कर रही स्वीकार है !

इमेज गूगल साभार 

मातारानी की उपासना का यह पावन त्यौहार है ,
श्रृद्धा  और भक्तिभाव से सारा जगत सरोबार है ।

मंदिरों में माता के भक्तों की लग रही  कतार है ,
मातारानी की कृपा से हो रहा सबका बेड़ापार है ।

स्थापित घट में जल रही अखंड ज्योति लगातार है ,
अलौकिक प्रकाश से दुखों का मिट रहा अंधकार है ।

मंदिरों में हवन, आरती और हो रहे मंत्रोच्चार है ,
स्वरलहरियों से हो रही माता की जय जयकार है ।

कन्याओं को मान देवी माता स्वरूप अवतार है ,
उनके पूजन और सम्मान से हो रहा जग उद्धार है ।

सबकी प्रार्थना मातारानी कर रही स्वीकार है ,
मातारानी का मिल रहा आशीर्वाद और प्यार है ।

सबके सपने और उम्मीदों को मिला आकार है ,
 सुखी, समृद्ध और भक्तिमय हुआ यह "दीप" संसार है ।
....….@@@......…..@@@............@@@........

नवरात्र पर्व की मंगलमय शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।
मातारानी का कृपा हमसभी पर ऐसे ही  सदा बनी रहे ।
जय माता दी ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220316930583116&id=1524713766

सोमवार, 23 सितंबर 2019

ये दिल# कर ही गया गुस्ताखियां# !

ये दिल कर ही गया गुस्ताखियां ,
होकर उनका कर ही गया मनमानियां ।

वो उनकी हंसी शरारत ,
वो हर बात पर उनका हंसना , यूं दिल में आकर बसना ,
वो दिल में उतर जाने की महारथ ,
बढ़ा देती है दिल की बेताबियां ।

अब किस से करें शिकायत ,
ये दिल भी अपना , और उन्हें भी माना है अपना ,
उन्हें अपना बनाने की है चाहत ,
अब तो उनकी यादों की है बैसाखियां ।

अब किसकी करें वकालत ,
मुजरिम भी है अपना , और मुलाजिम भी है अपना ,
अब किसको करें हताहत ,
आखिर दोनों तरफ है परेशानियां ।

दिल में दे ही गया कोई दस्तक ,
कोई तो हुआ अपना , सच हुआ प्यार का सपना ,
मानकर  खुदा की इबादत ,
बन जाएं एक दूजे की परछाइयां ।

ये दिल कर ही गया गुस्ताखियां ,
होकर उनका कर ही गया मनमानियां ।
                                        **** "दीप"  ****       

शनिवार, 14 सितंबर 2019

वक्त# का क्या है ये वक्त तो गुजर# जाना है !


वक्त# का क्या है ये  वक्त तो गुजर#  जाना है ।
 संवार लें पल पल# फिर कब ये लौट कर आना है ।

गम के लम्हों को गुजरने में सदियों सा समय लगता है ।
खुशियों के पल कब गुजर जाये पता ही नहीं चलता है ।
ये तो वक्त का अंदाज पुराना है ।..…..…

फिसल जाता है वक्त हाथ से रेत की तरह कहां है थमता ।
सहेज लें हर वक्त बूंद बूंद पानी की तरह जितनी है क्षमता ।
इससे ही तो आने वाला कल सुहाना है ।.........

वक्त वक्त की बात है इस जहां में कौन बार बार है मिलता ।
गुजार लें हंस बोलकर  वक्त इसमें कहां कोई धन है लगता ।
याद करके साथ उनका आगे तो मुस्कुराना है ।........…

अपना भी वक्त आयेगा बस उम्मीद का दामन रहे संभलता ।
हर वक्त 'दीप 'अवसर है बस जीत का जज्बा रहे मचलता ।
फिर सफलता कदमों में और मुट्ठी में जमाना है ।...........

वक्त का क्या है ये  वक्त तो गुजर  जाना है ।
संवार लें पल पल फिर कब ये लौट कर आना है । 

बुधवार, 21 अगस्त 2019

भारत# ने ऐसा मारा हथौड़ा# !

आज देख लो भारत# ने ऐसा मारा हथौड़ा# ।
तोड़ दिया एक झटके में धारा 370# का घेरा ।

लोगों को बरगलाकर , जो सेक रहे थे अपनी रोटी ।
भोग रहे थे सत्तासुख , जो समझकर अपनी बपौती ।
कुटिल इरादे हुए असफल , हाथ में पकड़ा दिया कटोरा । ।

इतरा रहे थे नापाक पड़ोसी , दे रहे थे गीदड़ भभकी ।
ध्वस्त हुये किले मुगालते के , हवा हो गई सारी हेकड़ी ।
सबके सामने मुंह की खाई , यू एन ने भी खूब खदेड़ा । ।

देश के कुछ नापाक दुश्मन , चला रहे थे दुकान आतंकी ।
फिजा बिगाड़ने की कोशिश में , हो रही थी घटना घुसपैठी ।
जवानों के बंधे हाथ हुए आज़ाद ,लगा आतंकी लाशों का ढेरा।।

मुक्त होगी धरती आतंक से, होगी अमन और शांति ।
सबको अब अधिकार मिलेंगे , सबकी होगी तरक्की ।
सब देशवासी भागीदार बनेंगे ,अब अलग न किसी का डेरा ।।

आज देख लो भारत ने ऐसा मारा हथौड़ा ।
तोड़ दिया एक झटके में धारा 370 का घेरा ।

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

बूंदे# बारिश# की !

                                                            चित्र गूगल साभार 
                                                                  
अंजली में भर लिया बूंदे बारिश की ,
भोली भाली सीधी सादी सरल व निर्मल।
ठहर न सकी अंजली में बूंदे बारिश की , 
गिरने लगी एक एक कर हथेली से मचल मचल।
लगता था बैचेन थी बूंदे बारिश की ,
खुद मिट कर बुझाने को धरा की अगन।
प्रकृति को नव जीवन दे बूंदे बारिश की,
कुछ समाई धरा में तो कुछ धारा गई बन।
चल पड़ी अनंत यात्रा में बूंदे बारिश की ,
कल कल बहती नदियों में होकर शामिल।
प्यास बुझाती फसल उगाती बूंदे बारिश की ,
हर मुश्किल से पार करती पर्वत पहाड़ जंगल।
जिद जोश में बहती जाती बूंदे बारिश की ,
एक दिन सब छू ही लेंगी सागर के साहिल।
हो गयी समाहित सागर में बूंदे बारिश की ,
अनंत विस्तार पा गहराइयाँ भी की हासिल।
रवि रश्मि संग आँख लड़ाई बुँदे बारिश की ,
आसमा में उड़ चली छोड़ समंदर का दामन।
मेघ बन तैयार है बरसने को बुँदे बारिश की ,
भोली भाली सीधी सादी सरल और निर्मल।

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

मत# देखा# करो ऐसे !


                                                              इमेज गूगल साभार

मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

नशीले नीले नैनो का नशा  ,
काले केशों का कहर ढाता कहकशा ,
बार बार बहकती बाहें करती बयाँ ,
निहारती नजरें नहीं नादाँ ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

आहिस्ते से अंदर उतर आयी अदा ,
दिल में दस्तक देती हंसी दास्ताँ ,
किस कदर कहर बरपा कहाँ कहाँ ,
दिल दरख्वास्त देता है दसियों दफा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां।  

मन माफिक मौसम है महरबाँ ,
जिद जीने की जबरदस्त  जवाँ ,
गर गुमराह होकर कर गए गुस्ताखियाँ ,
तकदीर का तकदीर से है तकाजा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

बुधवार, 17 जुलाई 2019

एक विनती# सुनलो# हमारी !

एक विनती# सुनलो# हमारी !
एक विनती सुनलो हमारी ,
शीतल कर दो धरती सारी .
त्राहि कर रहे सब नर नारी ,
रवि रश्मि बनी चिंगारी .
अंकुरित हो फसलों की क्यारी,
राह निहारती सब तुम्हारी .
चिंता में दिन रात गुजारी ,
धरती पुत्र की समझो लाचारी .
पशु पक्षियों को प्यास ने मारी ,
सर सरिता सब सूखी सारी .
माना इंसा की है कारगुजारी ,
प्रकृति संग की है चोट करारी .
भूल कर अपनी जिम्मेदारी ,
सुखो के लिये की है मारामारी .
अब प्रकृति संग निभायेंगे यारी ,
माफ़ करो सब गलती हमारी .
शीतल कर दो धरती हमारी ,
हम सब भूवासी रहेंगे आभारी ,
एक विनती सुन लो हमारी . 

शनिवार, 13 जुलाई 2019

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।
बार बार तुझसे मिलने की उठती है तड़फ ,
सुकून से क्या खाक जीयेंगे अब ।

घटाओं सा लहराता केशों का आसमानी फलक ,
पाजेब की झंकार और चूड़ियों की खनक ,
कदमों की थिरकन और कमर की लचक ,
जब भी सुनाई देती है कदमों की आहट ,
लगता है कि आया है मेरा रब ।
अब बंद हो या खुली हो आंखों की पलक ,
सदा साथ होने के सपने सजेगें अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

लवों पर मुस्कान भरी उसकी एक झलक ,
उसकी जिद और बार बार रूठ जाने की सनक,
मिलकर फिर मिलने की तमन्नाओं की कसक,
जब घुलती है फिजाओं में फूलों की महक ,
उनकी अदाओं का जलवा है ये तो सब ।
अब वो माने या रूठ भी जाए बेशक ,
साथ जीने मरने के ख़्वाब हकीकत बनेंगे अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

सोमवार, 24 जून 2019

ये #वहम अच्छे हैं !



                                                                          चित्र गूगल साभार

ये वहम अच्छे हैं !
जब तक अपनों के चेहरे पर  मिले मुस्कान ,
और मुँह में मिले  हो शहद सी मीठी जुबान ,
भ्रम के बादलों से ढँका है रिश्तों का असमान ,
तो तब तक जीने के लिये ये वहम अच्छे हैं .

जब तक जीवन में भरे हुये हैं खुशियों के बारदान ,
और सुखमय जीवन में मिल रह सबका योगदान ,  
अभी तक हुयी नहीं मुश्किलों में अपनों की पहचान,
 तब तक जीने के लिये ये वहम अच्छे हैं .

अभी तक नहीं दिखा डिगा हुआ ईमान ,
लगता दामन कोरे कपड़े के समान ,
जब तक बंद है दरवाजा ए हमाम ,  
 तब तक जीने के लिये ये वहम अच्छे हैं .

सब कहते हैं कि झूठ और फरेब है हराम ,
सहूलियतों के हिसाब से चले रहे है सब काम ,
जब तक कामों का मिल रहा है अच्छा परिणाम ,
तब तक जीने के लिये ये वहम अच्छे हैं .

अपनों से परे अपनी दुनिया बना रहा है इंसान ,
जुटा रहा है सुख सुविधाओं के सारे समान ,
दौड रही है “दीप” जीवन की गाड़ी बेलगाम ,
तब तक जीने के लिये ये वहम अच्छे हैं .

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

अपने मत# का पुष्प# अवश्य चढ़ायें !


लोकतंत्र का यह पर्व मनायें , मतदान के मंदिर तक जायें  .
बड़े बुजुर्गों को संग लेकर , पहचान पत्र की भेंट अवश्य ले जायें  .
व्यवस्था संग सामंजस्य बनाकर , अपनी बारी पर प्रवेश पायें  .
स्याही का ऊँगली में तिलक लगा , मतदान मंदिर के गर्भ गृह जायें  .
बेलेट मशीन और वीवीपेट से , पूजा की थाली सुसज्जित पायें  .
हरे रंग की रेडी लौ जलने पर , बेलेट यूनिट देख ध्यान लगायें .
सच्चे मन से चिंतन मनन कर , मत पुष्प अर्पित करने बटन दबायें .
मत पर्ची के दर्शन से आश्वस्त हो , लंबी बीप सी शंखनाद सुन पायें  .
सफल हुयी “दीप”  मतपूजा , हर्ष हर्ष सब संग घर वापस आयें .
अवश्य ही सब मनोकामना पूर्ण होगी ,अच्छे जनसेवकअवतरित हो जायें  .
लोक तंत्र का यह पर्व मनायें , अपने मत का पुष्प अवश्य चढ़ायें . 

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

E-commerce Website #uniqedeal (https://www.uniqedeal.com) #IsFake.

E-commerce Website #uniqedeal (https://www.uniqedeal.com#IsFake.

आदरणीय महानुभाव / दोस्तों ,
मैंने 22 मार्च 2019 को e -commerce site https://www.uniqedeal.com में order no 21273 से एक samsung galaxy m20 स्मार्ट फोन बुक किया , और ऑनलाइन एडवांस्ड पेमेंट Rs 12499 /- UPI से किया। स्मार्ट फोन बुक किये हुए एक सप्ताह से अधिक दिन हो चुके है किन्तु आज दिनांक तक मुझे फ़ोन प्राप्त नहीं हुआ है। जबकि 3 से 4 दिन में संभावित डेलिवरी बतायी गयी थी। Instant Cash Back भी आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हुआ है। जब मैं हेल्पलाइन नंबर TOLL FREE  1800 12336 9852 पर कॉल किया तो वह लग ही नहीं रहा है। E mail id customercare@uniqedeal.com पर मेल करने पर कोई रिप्लाई नहीं मिल रहा है।
वेबसाइट https://www.uniqedeal.com के Track order पर सिर्फ मैसेज " Order #21273 was placed on March 25, 2019 and is currently Waiting for Dispatch." डिस्प्ले हो रहा है। साइट पर रजिस्टर पर होकर id एवं password सेट किया था। किन्तु उससे लॉगिन करने पर एरर आ रही है।
कृपया इस issue को solve करने हेतु कोई सुझाव हो तो सादर आमंत्रित है। साथ ही यदि यह वेबसाइट https://www.uniqedeal.com फेक और फर्जी है तो अन्य दोस्तों को इसके बारे में आगाह और सावधान करने की कृपा करें।
बहुत धन्यवाद।

बुधवार, 20 मार्च 2019

कुछ इस तरह से होली# मना# लें !



कुछ इस तरह से होली मना लें , खुशियों के रंगों से मह्फिल सजा लें ॥
थोड़ी मस्ती थोड़ी शरारत , अपनों संग धूम और धमाल मचा लें .
नीला पीला हरा लाल गुलाबी , कुछ गुलाल और कुछ रंग लगा लें .
कुछ इस तरह से होली मना लें.........................
छुपते छिपाते कुछ शरमाते लोगों को , घर से जरा बाहर निकालें .  
चाहे इनकार करे चाहे इकरार , रंग लगा जबरन इनको सता लें .
कुछ इस तरह से होली मना लें.........................
मीठी गुजिया और मीठी  मठरी, भंग भरी थोड़ी मिठाई भी खा लें .
हँसते गाते और ठ्हाके लगा के , कदम उठा  ठुमका भी लगा लें .   
कुछ इस तरह से होली मना लें.........................
भूलकर सारे शिकवे और गिले ,दोस्ती का रंग भरा हाथ बढ़ा लें .    
तिलक लगा और गले लगाकर , अपने सभी  रुठो को मना लें .
कुछ इस तरह से होली मना लें.........................
मलकर गुलाल और तिलक लगा , आओ सूखी होली मना लें .
गीले रंगों का छोड़ कर मोह , आओ थोड़ा पानी भी बचा लें .
कुछ इस तरह से होली मना लें.........................
न आँखों को हो कोइ नुकसान ,थोड़ा त्वचा को भी बचा लें .
नशे और हुड़दंग से हो दूर , आओ शुभ सुरक्षित होली मना लें .  
कुछ इस तरह से होली मना लें , खुशियों के रंगों से मह्फिल सजा लें ॥  

होली के पावन पर्व की रंग बिरंगी हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाईयाँ .

रविवार, 17 फ़रवरी 2019

गीदड़ों# के बम# पर कहाँ है इतना दम# !

इमेज गूगल साभार
गीदड़ों के बम पर कहाँ है इतना दम ,
जो भिड़ सके शेरों से सामने आकर ।

कायरों सा छिपकर कर रहे आक्रमण ,
कुछ गद्दारों संग पीछे से आकर ।

कंगाली से जिसका भरा है खुनी दामन,
आतंकवाद की जहरीली फसल लगाकर ।

कुछ न कर पायेंगे ये बुजदिल हासिल ,
ऐसी घटिया सी हरकत अपनाकर ।

जब भी शेरों के सामने आया दुश्मन ,
पराजित हुआ है मुंह की खाकर ।

एक एक कर सब पहुचेंगे  जहन्नुम ,
कोई न बचेगा शेरों से टकराकर ।

जय हिन्द की सेना । 

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

अपने अंदर# के हुनर# को आजमाकर# तो देखें !



चलो एक कदम और बढाकर तो देखें ,
अपने अंदर के हुनर को आजमाकर तो देखें ।

माना कि खुद के अंदर कभी झाँका नहीं ,
स्वयं को पहचानने की रही जिज्ञासा नहीं,
प्रतिभा को अपनी  कभी आँका नहीं ,
क्षमता के अनुरूप खुद को तराशा नहीं।

करते  रहे औरों की सुनकर अब तक ,
मन की बात सुनने की न थी फुरसत ,
सफलता ने न दी द्वार पर दस्तक ,
बस दुनिया को कोसा किये अब तक ।

आसमाँ और भी है मन में रख हताशा नहीं ,
जहां चाह वहां राह है अब छोड़ अभिलाषा नहीं ।

निराशा की धूल "दीप" दर्पण से हटाकर तो देखें ,
संभावनाओं के समंदर में गोता लगाकर तो देखें ,
चलो एक कदम और बढाकर तो देखें ,
अपने अंदर के हुनर को आजमाकर तो देखें ।

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

कर लो कौशल# विकास# और सीख लो तकनीकी# हुनर!

कर लो कौशल# विकास# और सीख लो तकनीकी# हुनर!

कर लो कौशल विकास और सीख लो तकनीकी हुनर ।
दूर होगी कैरियर  की चिंतायें  जीवन जायेगा संवर ।

माना की पढ़ाई पर टूट पड़ा परिस्थितियों का कहर ।
न ही हासिल कर पाये उच्च शिक्षा  के अच्छे अवसर ।
चिन्ता की कोई बात नही और न ही ज्यादा करें फिकर ।
कर लो कौशल विकास और सीख लो तकनीकी  हुनर ।

उद्योगों का कार्य या उपकरणों के मरम्मरत का हो हुनर ।
ऐसी विभिन्न विधाओं और व्यवसाय में प्रशिक्षण लेकर ।
पा सकते है रोजगार और स्वरोजगार के ढेरों अवसर ।
अपने शहर में स्थापित करें स्वरोजगार होकर पेशेवर ।

दूसरों को भी रोजगार के अवसर देकर बने आत्मनिर्भर ।
बने स्वभाग्य निर्माता 'दीप' शुरू करें अजीविका सफ़र।
कर कौशल विकास और सीख कर  तकनीकी  हुनर ।

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

है पथ# पग# पग पर पथरीले#

है पथ पग पग पर पथरीले , 
अभी दूर है मंजिले।

कितनी सहूलियतें त्यागनी है ,
कितनी ही रातें जागनी है , 
कितनी बाधायें लांघनी है ,
कठिन परिस्थितियां साधनी है ,
पड़ जायेँगे पाँव में छाले ,
है पथ पग पग पर पथरीले ,
 अभी तो दूर है मंजिले।

होती आंख मिचोली अनायास है ,
कभी दूर तो कभी तू लगती पास है ,
न मिलने पर हो जाते है उदास है ,
फिर भी करते बार बार प्रयास है ,
सच से साकार सपनों से सिलसिले ,
चुभते कम है पथ पग पग पर पथरीले,
अब दूर न होगी मंजिले।

श्रम के तप से तपता ताप है ,
अग्नि परीक्षा की बेदी हुई राख है ,
सभी बाधायें जलकर ख़ाक है ,
किन्तु परन्तु की दुविधा समाप्त है ,
घटि घनघोर घटायें आसमां है नीले
नहीं लगते पथ पग पग पर पथरीले,
अब तो मुट्ठी में मचलेंगी मंजिले ,
अब दूर न होगी मंजिले। 

शनिवार, 26 जनवरी 2019

गणतंत्र# दिवस पर तिरंगा# फहराया !


Image साभार गूगल .

गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया ,
सलामी देकर राष्ट्रगान गाया ।
कुछ नाच गाकर कुछ भाषण देकर ,
देशभक्ति का भाव जगाया ।
याद किया शहीदों के बलिदानों को,
कुर्बानी का न होने देंगे जाया ।
हक़ को लड़कर लेने की है ठाना ,
फर्ज का जज्बा रग रग में समाया ।
प्रण किया  मिलजुलकर ऐसे रहेंगे ,
जैसे हो एक परिवार का साया ।
उन महापुरुषों के है हम आभारी ,
जिन्होंने यह संविधान बनाया ।
देश का यह गणतंत्र अमर रहे ,
 ऐसे भाव ले घर वापस आया ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाये । 

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

पानी# से चला दी कार# !


अक्सर यह देखने में आता है की हर अभिनव प्रयोग और नए आविष्कार के विदेश में ही होने की खबर समाचार पत्रों में बड़े तामझाम के साथ छपती है , जिससे ऐसा लगता है की वहां के लोग बड़े प्रतिभाशाली है और हमारे यहां के नहीं ।
दोस्तों आज 22/01/19 के दैनिक भास्कर में सूरत के इंजीनियर श्री पुरुषोत्तम जी द्वारा पानी से कार चलाने की खबर छपी है । वह भी अंदर के पृष्ठ में । यही खबर यदि विदेश से होती तो बड़े तामझाम के साथ प्रथम पृष्ठ में मुख्य खबर बनती ।
नृत्य और संगीत कला की प्रतिभाओं को प्रदर्शन और प्रोत्साहित करने के लिए संचार मीडिया जैसे टेलीविज़न में पर्याप्त मंच उपलब्ध है , किन्तु विज्ञान और अन्य क्षेत्र की प्रतिभाओं के लिए कोई उचित मंच प्रतीत नही होता है ।
जो भी हो यदि यह खबर सही है तो इसे ज्यादा से ज्यादा प्रसारित और प्रचारित किया जाए , ताकि इस तरह के अभिनव प्रयोग करने वाली प्रतिभाओं का उत्साह वर्धन हो और उन्हें उनके इन प्रयासों के लिए प्रसिद्धि और सम्मान मिल सके साथ ही दूसरे प्रतिभाशाली लोग भी ऐसे अभिनव प्रयोग करने हेतु प्रेरित हो सके ।
 धन्यवाद ।

रविवार, 13 जनवरी 2019

कुछ# इस तरह# से जीना# आ गया !

कुछ# इस तरह# से जीना# आ गया !

कुछ इस तरह से जीना आ गया , मुस्कुराते हुये ग़मों को पीना आ गया ।

मुश्किलों के दौर के आये जो मंजर , कोई साथ न देगा न थी ऐसी खबर । 
मदद की आस में भटकते दर बदर , परेशानियों से लड़ने का हुनर जो आ गया। 
खुद ही अपने जख्मों को सीना आ गया .........

फिजाओं में घुल रहे है कैसे कैसे जहर , बदनाम हो रहे हैं अब तो हर शहर ।
पता नहीं कब कौन मार दे ठोकर , संभल कर चलने का आया जो हुनर।
वक्त से तजुर्बों का नगीना पा गया .........

जूझने का सबब समेटे हुये अंदर , हासिल कर "दीप " जीने 
का हर  हुनर।
कर के सारी दुशवारियों को बेअसर , पार कर लेंगे जीवन का समुन्दर।
लो अब बहाना पसीना जो आ गया . 

कुछ इस तरह से जीना आ गया , मुस्कुराते हुये ग़मों को पीना आ गया ।

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

खरे सोने# सी बढे दुनिया# में कदर# ।

खरे सोने# सी बढे दुनिया# में कदर# ।

खुशियों का फैला हो अनंत आकाश ,उत्साहों से भरा हो अथाह समंदर ।
ऊर्जाओं का बिखरा हो अपार प्रकाश, अवसरों की खुली होअनेकों डगर ।
गिरकर उठ जाने के हो पुनः प्रयास , एकलव्य सा दोगुना हो जूझने का असर ।
संभावनाओं के दिन व् दिन बढे कयास, लक्ष्यों पर हो अर्जुन सी पैनी नजर ।
सुखदुख की लहरों की जब पड़े थाप, मिटटी के घड़ों सा निखरे तनमन सुन्दर ।
सफलताओं पर मिले अपनों का आशीर्वाद , खरे सोने सी बढे दुनिया में कदर ।
मित्रों और अपनों की दुआओं हो साथ ,  कदम चूमे कामयाबियों का शिखर ।
पलपल हो ईश्वर की कृपाओं की बरसात, संवर जाये "दीप" जीवन का हर सफ़र ।
🌸नव वर्ष की अनंत शुभकामनाये एवं बधाइयाँ । 🌸

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...