वक्त# का क्या है ये वक्त तो गुजर# जाना है ।
संवार लें पल पल# फिर कब ये लौट कर आना है ।
गम के लम्हों को गुजरने में सदियों सा समय लगता है ।
खुशियों के पल कब गुजर जाये पता ही नहीं चलता है ।
ये तो वक्त का अंदाज पुराना है ।..…..…
फिसल जाता है वक्त हाथ से रेत की तरह कहां है थमता ।
सहेज लें हर वक्त बूंद बूंद पानी की तरह जितनी है क्षमता ।
इससे ही तो आने वाला कल सुहाना है ।.........
वक्त वक्त की बात है इस जहां में कौन बार बार है मिलता ।
गुजार लें हंस बोलकर वक्त इसमें कहां कोई धन है लगता ।
याद करके साथ उनका आगे तो मुस्कुराना है ।........…
अपना भी वक्त आयेगा बस उम्मीद का दामन रहे संभलता ।
हर वक्त 'दीप 'अवसर है बस जीत का जज्बा रहे मचलता ।
फिर सफलता कदमों में और मुट्ठी में जमाना है ।...........
वक्त का क्या है ये वक्त तो गुजर जाना है ।
संवार लें पल पल फिर कब ये लौट कर आना है ।
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