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रविवार, 31 मई 2020

#कोरोना के मिले हैं कुछ राईट इफेक्ट दो चार !




कोरोना के मिले हैं कुछ राईट इफेक्ट दो चार   ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .
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रहना हुआ है , घर में सब जन के ,
मिटे गिले शिकवे , वहम सारे मन के ,
सबके सानिध्य में बीते दिन चार ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .
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कम हुयी जरुरतें  , खर्चे भी कम से ,
जीना हुआ है , किफायती ढंग से ,
थोड़े में सब दिन कर रहे हैं  गुजार ,
 नहीं सब कोरोना से बीमार  .
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स्वच्छ जल हुआ सब , नदी तालाब छनके ,
पवन भी हुई साफ , कम प्रदूषण के दम से ,
पर्यावरण को इतना मिला है करार ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .  
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न बैंड बाजा , बाराती भी न्युन से ,
मुक्त हुयी शादी शानो शौकत के उलझन से ,
फिजुलखर्ची की अब न पड़ी है मार ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .
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घर में रहकर  सीखा कुछ कुछ स्वयम से ,
मजबूत हुये हैं , आत्मनिर्भर बनके ,
हर विपत्ति से लड़ने को सब है तैयार ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .
.
कोरोना के मिले हैं कुछ राईट इफेक्ट दो चार   ,
नहीं सब कोरोना से बीमार  .

गुरुवार, 7 मई 2020

#मुहावरे और #लोकोक्तिया पर भी #कोरोना की वक्र दॄष्टि !

आदरणीय
लो अब मुहावरे और  लोकोक्तिया पर भी कोरोना की वक्र दॄष्टि पड गई . जो कोरोना के संक्रमण के प्रभाव से कुछ ऐसी बन गई है . कृपया गौर फरमाइयेगा .
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क़्वारनटाइन का मारा न घऱ का न घाट .
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अब पछ्ताये होत क्या , जब कोरोना से हो गई भेंट .
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सौ सर्दी खांसी बुखार की , एक कोरोना वार की .
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सोशल डिस्टेंशिंग परमोधर्मा .
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घर के बाहर तो कोरोना भी शेर होता है .
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बिन मांगे कोरोना मिले  , मांगे मिले न तालाबंदी से ब्रेक .
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तालाबंदी में सिर दिया तो कोरोना से क्या डरना .
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अकेला आदमी , कोरोना नही फैला सकता .
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आस्तीन का कोरोना .
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हवन करते कोरोना होना .
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कोरोना से छला ,शक्कर भी धो धो कर खाता है .
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चार दिन की तालाबंदी , फिर खुल जायेंगे कपाट .
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घर का बंदी , कोरोना घटावे . 

सोमवार, 4 मई 2020

#कोरोना ने ऐसे कराई है #तालाबंदी .


बड़े बड़े धुरंधर की भी ,
हो गयी है नजर बंदी ,
कोरोना ने ऐसे कराई है तालाबंदी .
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बाहर पुलिस के डंडे से
मार की है शर्मिंदगी ,
तो घऱ पर बेलन और मेडम जी .
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साबून से हाथ धोने के साथ साथ ,
कुछ और सामानों की भी
साफ कर रहे हैं गंदगी .
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बिखरे - उलझे है बाल और
दाढ़ी भी हो गई है लंबी ,
भूल गये हैं बार बार लेना सेल्फी .
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कोई घोड़ा बना रहा है
तो कोई बना रहा हैं नंदी .
बच्चों की भी चल रही है गुटबंदी ,
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आफिस के बॉस के साथ ही
अच्छी थी जुगलबंदी ,
यही है अब तो सबकी रजामंदी .
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दोहरी लडाई लड़ रहे हैं
सब तालाबंदी पीड़ित जंगी ,
काश कब हटेगी यह नजरबंदी .

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...