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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

बस इतना ही किया करते हैं !

Image गूगल साभार 


इन दो #आंखों से ,

बस इतना ही किया करते हैं ,

जितना दिल किया,

उनका #दीदार किया करते हैं ।


वो  रोक तो  सकते नहीं हैं ,

चाहे देखा करें उनके ही सपने हैं,

या दीदार करें उनके ही कितने हैं,

जितना है बस में  देख उतना,

दिल को तसल्ली से भरा करते हैं । 


वो हमें भले ही  देखा न करें ,

हो हम अभी उनके मन से परे,

हो सकता है हम नजरों में उनकी खलते हैं ,

पर जब भी वो सामने आते हैं,

उनकी नजरों से हम तो उलझा किया करते हैं ।


आयेगा एक दिन ऐसा  काश ,

जब वो होंगे सदा मेरे पास ,

ऐसे खयाल अब दिल में मचलते हैं ,

दीप इन ख्वाहिशों के जला,

अब तो दिन रात लिये फिरते हैं । 


इन दो आंखों से ,

बस इतना ही किया करते हैं ,

जितना दिल किया,

उनका दीदार किया करते हैं ।

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

#दीवारों में दरार है !


#दीवारों में दरार है ,

दिखता आर पार है ,

झांकती बाहर तकरार है ,

तो बाहरी दखल के आसार है । 


दीवारों में दरार है ,

बनती अख़बार है ,

घर की हर घटनायें ,

हो जाती समाचार है ।


दीवारों में दरार है ,

फिर कहां करार है ,

न खुशियों से दीदार है ,

न आपस में सद व्यवहार है । 


दीवारों में दरार है ,

गर भर जाये एक बार है ,

फिर बाहरी दखल फरार है ,

और सुलह के आसार है । 

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

हसरतों की हवा चली !


 #हसरतों की हवा चली ,
मन में एक आशा पली ,
#हौसलों ने हुकार भरी ,
कदमों ने वह डगर पकड़ी ,
जिसमें #मंजिल थी खड़ी ।

परिस्थितियों ने कुछ चाल चली ,
मौसम ने भी मुसीबत की खड़ी ,
जमाने ने की #जंजीरें थी खड़ी ,
#मुश्किलों की हर मार सही ,
पर हिम्मत गिर गिर उठी ,
मंजिल भी कुछ मेरी तरफ बढ़ी ।

अब पक्ष में घटनाऐं थी घटित ,
#चुनौतियां भी आत्मसमर्पित ,
संदेह मात्र नहीं था किंचित ,
हौसले भी अब है हर्षित ,
मंजिल अब न रही अविजित ।

मंजिल अब साथ है खड़ी ,
कदमों की डगर अब है थमी ,
हौसलों की हुंकार भी थमी ,
मन की भी आशा है फली ,
हसरतें भी है हंसी हंसी ।

नील लगे न पिचकरी, #रंग चोखा आये ,

  नील लगे न #पिचकरी, #रंग चोखा आये , कीचड का गड्डा देखकर , उसमें दियो डुबाये .   ऊंट पर टांग धरन की , फितरत में श्रीमान , मुंह के बल...