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बुधवार, 26 जुलाई 2023

#मुश्किल होता है , खुद को संभालना !


#मुश्किल होता है ,

खुद को संभालना ,

जब कभी मिलता नहीं ,

#मनचाहा #मुकाम ना ।


लगता इस जहां में,

अब मेरा कोई काम ना,

हारा हुआ #प्यादा हूं ,

मेरा कोई #दाम ना ।


पर #जीत से होता नहीं ,

हर बार तो सामना ,

कभी तो मिलेगी #हार ,

बात यह गांठ बांधना ।


होना निराश नहीं ,

चाहे मिले उचित परिणाम ना ,

करते रहें हौसलों से ,

हर मात का सामना ।


#समीक्षा से सार ले ,

सीख नई निकालना ,

फिर लक्ष्य #संधान कर ,

तीर सही तानना ।


तब मुश्किल होगा नहीं ,

खुद को संभालना ,

फिर दूर होगा नहीं ,

मनचाहा मुकाम ना ।

         ***दीपक कुमार भानरे***

बुधवार, 19 जुलाई 2023

ये #आसमानी #फलक !


ये #आसमानी #फलक ,

उस पर #बादलों की झुरमुट,

झांकती #चांद की झलक ,

जैसे उठता चांद का #घूंघट ।


कुछ #सितारों की चमक ,

जैसे इंतजार में आंखों की #अलख ,

जब चांद की हुई #दस्तक ,

भरा रोशनी से आसमानी फलक ।


हवाओं की सरसराहट ,

धीमी धीमी सी आहट ,

रात चौकन्नी और सजग ,

बादलों से अब न कोई बंधक ।


बादलों की नहीं कोई झुरमुट ,

नहीं कोई अब घूंघट ,

चांद भी है चांदनी की झलक ,

रजत सा है आसमानी फलक ।

बुधवार, 12 जुलाई 2023

#बारिश का प्रहार , रौद्र रूप में #बाढ़ !

 

इमेज गूगल साभार

#बारिश का प्रहार ,

रौद्र रूप  में #बाढ़ ,

तोड़ कर सारे किवाड़ ,

जो मिला सामने वो उखाड़ ,

कर दिया #उजाड़ ।

 

इतना हुआ #खिलवाड़ ,

की #प्रकृति गयी है हार ,

अब मचा रही #हाहाकार,

लाकर #अकाल या #बाढ़,

बस बेबस देखता संसार ।

 

नदी नालों पर #अतिक्रमण ,

अवैध है उत्खनन ,

नष्ट हो रहे हैं वन ,

हुआ नष्ट #पर्यावरण ,

बिगड़ा सारा संतुलन ।

 

गर अब न किया मनन ,

गर अब न खोले नयन ,

तो यूं प्रकृति का प्रहार ,

होता रहेगा बार बार ,

यूं होता रहेगा संहार ।

            ***दीपक कुमार भानरे ***

शनिवार, 8 जुलाई 2023

यूं न रहो बैठे , किसी कौने ठिकानों में !

 


यूं न रहो बैठे ,

किसी कौने ठिकानों में,

कुछ तो #सीखने जाओ ,

#कौशल के संस्थानों में ।

 

बनेगें अवसर #रोजगार के ,

दुनिया जमाने में ,

फिर गुज़रेगी यूं ही ज़िंदगी,

#पैसा #कमाने में ।

 

बढ़ जायेगा #रुतबा ,

अपनों और यारानों में ,

जब हो जाओगे शामिल ,

कौशल के #जानकारों में ।

 

मिल जायेगी #नौकरी ,

किसी अच्छे संस्थानों में ,

 या होगा रोजगार खुद का ,

अपने ही #कारखानों में ।

 

अब रहोगे बैठे ,

#कौशलमंदों के शामियानों में ,

पा जाओगे एक #मुकाम ,

ज़िंदगी के जहानों में ।

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...