फ़ॉलोअर

शनिवार, 6 अगस्त 2022

#उलझा उलझा सा हर आदमी है यहां !

#उलझा उलझा सा  हर आदमी है यहां ,

कभी जीता है जंग, तो खेल है बिगड़ा ।


गर कमजोर पड़े थोड़ा सा भी  जरा ,

पल में बदल जाता है खेल का कायदा ।

कब किसका पड़ जाये भारी पलड़ा ,

कब  निकल जाये कौन किससे है मिला ।


छुपे  है कितने जो गिराने को है अमादा ,

जो संभाले, उंगलियों में जा सकता है गिना।

होता है फूंक फूंककर कदमों का चलना,

पता नहीं कौन सी चाल पर बारूद है बिछा ।


यह समझ संभलकर चलने का सलीका है ,

या ऊपरवाला भी है कुछ तो ऊपर मेहरबां ।

जहां टला है जीवन से कोई न कोई हादसा   ,

और मुसीबतों को मिली है मात बकायदा ।


बस चल रही  है जीवन की यूं ही नौका ,

पार कर  मुसीबतों को आहिस्ता आहिस्ता,

उलझा उलझा सा तो ही हर आदमी यहां ,

कभी जीता है जंग तो खेल है बिगड़ा ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय कामिनी मेम नमस्कार ,

    मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (7 -8-22} को "भारत"( चर्चा अंक 4514) पर शामिल करने के लिये सादर धन्यवाद एवं आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. यथार्थपूर्ण रचना। आपकी यह काव्य रचना बहुत अच्छी है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय , आपकी बहुमूल्य और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तम रचना। फ़ूंक फ़ूंक कर कदम रखना एक अच्छी नीति प्रतीत होती है मान्यवर

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय , रवि सर , फ़ूंक फ़ूंक कर कदम रखना एक अच्छी नीति प्रतीत होती है , ऐसा ही मेरा भी विचार है । आपकी बहुमूल्य और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. भानरे जी, बहुत सुंदर पंक्‍तियां कि...''होता है फूंक फूंककर कदमों का चलना,

    पता नहीं कौन सी चाल पर बारूद है बिछा ।'' एक एक शब्‍द सटीकता के संग..वाह क्‍या कहने

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय , अलकनंदा में ,आपकी बहुमूल्य और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  8. छुपे है कितने जो गिराने को है अमादा ,
    जो संभाले, उंगलियों में जा सकता है गिना।
    होता है फूंक फूंककर कदमों का चलना,
    पता नहीं कौन सी चाल पर बारूद है बिछा ।
    बिल्कुल सही कहां आपने बहुत ही सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय , राज पुरोहित सर ,आपकी बहुमूल्य और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार । सादर ।

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...