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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

संख्या बदल रही है संसार तो है वही !

 


संख्या बदल रही है संसार तो है वही ,

जमी वहीं रहेगी और आसमां भी वहीं ,

दुनिया  रहेगी वही और इंसान भी वही ,

संख्या बदलेगी और कुछ अंदाज भी सही।


बेदर्द रहा साल , दुश्वारियां थी हर कहीं ,

कुछ अपने साथ छोड़े, धार आंसू की बही ,

जैसे तैसे संभले है , थोड़ी कसक ही सही ,

बढ़ना तो होगा ही , कुछ अपने साथ न सही ।


महफ़िल नई होगी , पर होगी शाम तो वही ,

पैमाने बदल जायेंगे , पर होंगे जाम तो वही ,

उम्र बदल जाएगी  पर होगा उन्माद तो वही,

हिम्मत न होगी कम बस पैगाम है यही ।


नव वर्ष में नूतन खुशियों हो हर कहीं ,

ईश्वर से सबके लिए मनोकामना है यही ।

बुधवार, 22 दिसंबर 2021

काली रात का करने शिकार !


सन्नाटा है गली मौहल्लों में ,

बच्चे दुबके है माँ के आंचलों में ,

बड़े बुजुर्ग भी दुबककर बैठे हैं ,

बंद कर अपने घरों के किवाड़ ।


पक्षियों के परों की फड़फड़ाहट ,

पत्तियों में हवाओं की सरसराहट ,

खामोशी में खौफ की महफ़िल सजाते हैं ,

कुत्ते , बिल्ली और जंगली सियार ।


जुगनुओं का काफिला कर तैयार ,

जलते दीपकों की लिये तलवार ,

चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।


उतर चला है अंधेरे का खुमार ,

थम रहा है रात का अत्याचार ,

बह रही है धवल रोशनी की धार ,

मिल रहा है सबके दिलों को करार ।


चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

बाहर तो निकलो ....!

 


जो देख लिया है जी भरके ,

और समा गए हो आंखों से उतर के,

जो भर गया मन बातें करके ,

तो समझाकर मन को थोड़ा जतन से,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।


माना कि चाहत है बेजा हमसे ,

एक पल की दूरी भी भारी है कसम से,

उतरने न देते हो कभी अपने जेहन से ,

कब तक बैठे रहोगे यूं ही बंध के ,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।


रुसवा न हो जमाना बढ़ते कदम से ,

होना न पड़े आहत बातों की चुभन से ,

देखें इस जमाने को  उनके ही दर्पण से ,

अब रखकर  कदम अपने बड़े जतन से ,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

तो मत कर संकोच !

 


तो  मत कर संकोच,

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे ।


गर मन में है भरोसा ,

कि जो मैंने है सोचा ,

वह नहीं है धोखा ,

मेरे और अपनों के साथ । तो मत कर संकोच......


गर गलत नहीं है चयन ,

तो बढ़ा आगे कदम ,

छोड़ कर सारे वहम ,

कर एक दिन और रात । और  मत कर संकोच......


गर बढ़ा दिया है कदम ,

तो करके सारे जतन ,

बस लगा के सारा दम ,

कर पसीने की बरसात । और  मत कर संकोच......


फहरेगा जीत का परचम ,

या अनुभव का मिलेगा धन ,

बस न हारे यह मन ,

और करते रहे जतन । 


मत कर यह संकोच 

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे । 

शनिवार, 27 नवंबर 2021

देखना एक दिन #पछताओगे ।


यूं  न #उलझा करो मुझसे एक दिन पछताओगे ।

देखना किसी दिन #दिल अपना मेरे हवाले कर जाओगे ।


ढूंढते हो मुझसे बार बार मिलने के बहाने ,

बनाते हो गलियों को मेरी अपने ठिकाने ,

देखना इन्हीं ठिकानों पर दिल अपना अटका पाओगे ।


मिलाते हो नज़रें मुझसे कितने दफा न जाने ,

आते ही करीब मेरे बार बार मदद के बहाने ,

देखना इन्हीं दफाओं में खुद को उलझा पाओगे ।


करते रहते हो तारीफ मेरी यूं ही मुझे  रिझाने ,

लाते हो बार बार नजराने मेरी मुस्कुराहटें पाने ,

देखना इन सुकुनों में खुद को बे सुकून पाओगे ।


लड़ जाते हो किसी से भी बिना कोई बात जाने,

आ जाते हो कभी भी मेरी जिम्मेदारियां उठाने ,

देखना किसी दिन खुद मेरी जिम्मेदारी बन जाओगे ।


ये दिल भी लगा है अब तो तुम्हारे ख्वाब सजाने,

ढूंढने लगे है अब तो  मिलने के बहाने ,

ये बताओ दिल दीप अपना कब मेरे नाम कर जाओगे ।


यूं  न उलझा करो मुझसे एक दिन पछताओगे ।

देखना किसी दिन दिल अपना मेरे हवाले कर जाओगे ।

रविवार, 21 नवंबर 2021

मेरा हुनर मुझे सीढ़ियों से गिरने नहीं देता !



मेरा हुनर मुझे सीढ़ियों से गिरने नहीं देता । 

परेशानियां के बाज़ार में उतरने नहीं देता ।

माना कि लाख चुनौतियां है जीवन में ,

फिर भी मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता ।


आया है कुछ हुनर अपनों संग हाथ बटा कर ,

तो पाया है बहुत कुछ  हुनरमंद को गुरु बनाकर ,

जो मिला उसको कई दफा आजमाया है ,

अब तो सामने मेरे नाकामियों को संवरने नहीं देता ।

मेरा हुनर मुझे..…......


पाया है साजो सामान जीने का अपने दम पर ,

हुई है आसान हर  राहें रुकावटें को कम कर ,

आती नहीं नौबत हाथ फैलाने की जीवन में ,

अब तो नज़रों में दूसरों की खुद को उतरने नहीं देता । 

मेरा हुनर मुझे..….....


कुछ इस तरह से हुनर ने परिपक्व बनाया है ,

अब तो हर मुसीबतों को हौसलों ने हराया है ,

चाहे आ जाये कितनी ही  रुकावटें दीप जीवन में ,

पर जीवन की रफ्तार को जरा भी ठहरने नहीं देता । 

मेरा हुनर मुझे..…......


मेरा हुनर मुझे सीढ़ियों से गिरने नहीं देता । 

परेशानियां के बाज़ार में उतरने नहीं देता ।

माना कि लाख चुनौतियां है जीवन में ,

फिर भी मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता ।

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सुनने के लिए (पॉडकास्ट)

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सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

बस इतना सा #फसाना है।



चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है । 

 

फूलों की खुशबू भी  ,

अब करती नहीं  दीवाना है ।

उनकी सांसों की खुशबू ही

करे मौसम  सुहाना है । .........  

 

महफिल भी सितारों की ,

अब लगती वीराना है ।

साथ ही उनका अब तो ,

महफिलों का खजाना है ।.........

 

चाँदनी रात का शबाब भी ,

अब दिल  को नहीं गवारा है ।

चमक उनकी आंखे की  ,

दीप दिवाली का नजारा है । .........

 

समंदर से भी गहरा  ,

लगाव यह हमारा  है ।

चाहत अनंत आकाश है  ,

और चाहत ही सरमाया है । .........

 

चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है ।

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

आओ खिंचवायें कुछ #तस्वीर ।



लिये मुस्कुराहटों के तीर ,

छुपाकर अपने मन की पीर,

आओ खिंचवायें कुछ तस्वीर ।


गर चेहरे में है दाग कोई ,

या कील मुहांसे की हो भीड़,

सौन्दर्य प्रसाधनों से एब छुपाकर ,

चेहरे पर चढ़ायें सुंदरता का नीर ।


कैमेरा में फ़्लैश बढ़ाकर ,,

रंगों से सामंजस्य बनाकर ,

अच्छा सा बैकग्राउंड लगाकर,

तस्वीर की बदले तासीर  ।


सुन्दर से एहसासों से भरकर,

दो शब्दों का कैप्शन लिखकर,

सोशल मीडिया की तश्तरी में धरकर,

अपनों को बांटे खुशियों की अबीर ।


लिये मुस्कुराहटों के तीर ,

छुपाकर अपने मन की पीर,

आओ खिंचवायें कुछ तस्वीर ।

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

हरण हो , हरण हो !

 💐आदरणीय💐

🙏दशहरा के पावन पर्व पर सियाराम जी 

की कृपा से हम सभी के जीवन से🙏


🔥हरण हो हर दुखों का ,

🔥हरण हो हर दुर्दशाओं का ,

🔥हरण हो हर दुर्गणों का ,

🔥हरण हो हर दुविधाओं का ,

🔥हरण हो हर दिक्कतों का,

🔥हरण हो हर दरिद्रताओं का ,

🔥हरण हो हर दुष्टों  का ,

🔥हरण हो हर दु साहसियों का ,

🔥हरण हो हर दुष्ट आत्माओं का 

🔥हरण हो हर दुश्मनों का ।


🌻दशहरा पर्व की कोटि कोटि मंगलकामनाएं । 🌻

💐💐जय सियाराम जी की ।🙏🙏

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ।

 

इमेज गूगल साभार 

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


तू शक्ति रूपेण, तू ममतामयी ,

तू दुर्गति नाशिनी, तू रक्षा दायिनी,

तेरी शरण सबकी छत्र छाया ।


सच्ची भक्ति , सच्ची श्रद्धा ,

सच्चे मन से करके पूजा ,

तेरे दर पर सब कोई आया ।


दरबार सजा , भक्तों से भरा ,

गूंज रहा माता का जयकारा ,

मां की ज्योति का हर कलश सजा ।


हो जगत कल्याण , भरे धन धान्य ,

हर मनोकामना हो जाये मान्य ,

खुशियों से भर जाये सारी धरा ।


हे जगदम्बे मां , अपरंपार महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

किसका है इसमें कसूर !

इमेज गूगल साभार

साहिल का यह है गरूर ,

या ये लहरों का है दस्तूर , 

किसका है इसमें कसूर ,

जो मिलकर भी हो जाते हैं दूर ।


तूफ़ानों की संगत में आकर ,

लहरों को छाया कैसा सरूर ,

चीर कर साहिल की सीमा ,

हो जाती साहिल से दूर ।


पाकर ऊंची ऊंची दीवारें ,

साहिल भी हो जाता ऐसा मगरूर , 

लहरें टकराकर होती चूर ,

मौन खड़ा देखें साहिल दूर ।


गर न सुनती तूफ़ानों की लहरें ,

गर साहिल न पाते दीवारों के पहरे ,

लहरें साहिल संग लेती फेरे ,

कभी न होते एक दूजे से दूर । 


साहिल का यह है गरूर ,

या ये लहरों का है दस्तूर , 

किसका है इसमें कसूर ,

जो मिलकर भी हो जाते हैं दूर ।

गुरुवार, 30 सितंबर 2021

#आसमां सर पर क्यों उठाते हो !

 

इमेज गूगल साभार 

#आसमां सर पर क्यों उठाते हो  ,

पैर #जमी पर नहीं रख पाते हो  ,

जमी पैरों के नीचे कि एक दिन ,

यूं ही जायेगी खिसक ,

आग पानी में क्यों लगाते हो ।

 

माना कि जमाने में मुश्किलों है बहुत ,

कुछ सुलझती है कुछ जाती है उलझ ,

हर समस्या से मिलती नहीं  निजात है  ,

समझौता कर रहना पड़ता साथ है ,

औखली में सर अपना क्यों पड़वाते  हो ।........

 

जीवन थोड़ा है और काम  है बहुत ,

दुनिया बड़ी है और ज्ञान है बहुत ,

एक जीवन भी पड़ जायेगा कम ,

समेटने को दुनिया लगेंगे कई जनम ,

जीवन को जी का जंजाल क्यों बनाते हो ।.....  

 

नाराजगियाँ  अपनों की जाती है छलक ,

दरियाँ दिलों का बहने लगता है अलग ,

रखकर शीतल मिजाज अपना  ,

रोक लें दिलों का सुलगना ,

अपनों की कश्ती क्यों भवर में उलझाते हो ।......  

 

आसमां सर पर क्यों उठाते हो  ,

पैर जमी पर नहीं रख पाते हो  ,

जमी पैरों के नीचे कि एक दिन ,

यूं ही जायेगी खिसक ,

आग पानी में क्यों लगाते हो ।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

बिना हद का आसमान है !

 

गूगल इमेज साभार 

बिना हद का आसमान है ,

ऑनलाइन के जमाने में ,

दिल भी बे-हद मिलेंगे ,

दीवानगी को आजमाने में ।

 

मुलाकातों भी होती है अब ,

चैट रूम  के ठिकाने में ,

लगता नहीं जरा भी वक्त ,

दिन रात गुजर जाने में ।

 

अदायें भी शामिल , नखरे भी ,

अपने चलचित्र  को  बनाने में ,  

बढ़ जाते है जिससे चाहने वाले ,

सोशल मीडिया के खजाने में ।

 

बदल रही है वफायें ,

नये दोस्तों के आ जाने में ,

वक्त भी लग रहा है कम ,

रिश्तों के बिखर जाने में ।

 

गर पहचान लें हद अपनी,

ऑनलाइन के जमाने में ,

दिल भी रहेंगे खिले “दीप” ,

दीवानगी के बागानों में ।

सुनने के लिए क्लिक करें

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

और सूखे पत्ते बचे रह गये ।

 

                                                                       इमेज गूगल साभार 


पेड़ के पत्तों के झुरमुट से ,

किरणें  सूर्य की झांकी ,

पिघलने लगी थी ,

पत्तों पर जमी बर्फ ,

पर रिश्ते बर्फ से जमे रह गये ।

 

बारिश में पेड़ों के पत्तों पर ,

बूंदों की आवाज सुनाई दी ,

मगर आंसुओं के गिरने की ,

आवाज सुनाई न दी ,

और अरमान सारे बह गये ।

 

कितने आहिस्ते निकले दिल से ,

कि पतझड़ में भी ,

पदचाप पैरों की सुनाई न दी ,

दिल में लग गई आग ,

और सूखे पत्ते बचे रह गये ।

 

धुंधले यादों की तरह ,

बिखरने लगे पत्ते सारे ,

समय चक्र के घेरे में ,

ढह गया ढेर यूं ही ,

हम खाली हाथ खड़े रह गये ।

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

गणपति जी के कृपा नयन से ।


 धरती , पाताल और गगन से ,

इस जग के हर कण कण से ,

शोभायमान  है चहुं दिशायें ,

गणपति जी के शुभ आगमन से । 


भक्ति भाव खुशियां आनंद से ,

हल्दी चन्दन और कुमकुम से

स्वागत है स्तुति वंदन से , 

गणपति विराजे हैं ऋद्धि सिद्धि संग से ।


दूर होगी दुविधा मन से ,

कष्ट मिटेंगे नश्वर तन से ,

हर विपदा हर जाएगी ,

गणपति जी के कृपा नयन से ।


गणेश उत्सव की कोटिश शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।

ओम जय श्री गणेशाय नमः । 

शनिवार, 4 सितंबर 2021

चार #कांधे भी न मिले !



चार #कांधे भी न मिले ,

#अर्थी को उठाने में ।

जिन्होंने त्यागा है #प्राण ,

#कोरोना के लड़ जाने में ।


चुपचाप गये निकल ,

अन्तिम संस्कार करवाने में ,

अपने भी न पा सके मौका ,

उनका चेहरा देख पाने में ।


सबको लग रहा था डर, 

उनके पास जाने में ,

लोग मिलने न पहुंच सके,

उनके तीमार खाने में ।


दो शब्द भी न पा सके

सहानुभूति और सहलाने में । 

न पा सके अपनों का साथ,

मनोबल को बढ़ाने में । 


सब कुछ होते भी हो गये,

अकेले भरे जमाने में ,

कितना तकलीफ देह रहा होगा ,

वो मुश्किल वक्त बिताने में ।


चार कांधे भी न मिले ,

अर्थी को उठाने में ।

जिन्होंने त्यागा है प्राण ,

कोरोना के लड़ जाने में ।

बुधवार, 1 सितंबर 2021

बेड़ियों में जकड़ती अफगानी नारी !



बेड़ियों में जकड़ती अफगानी नारी ,

तमाशबीन बनी है ये दुनिया सारी ।


बंदिशें पर बंदिशें लगनी है जारी ,

पिंजरा बनता जा रहा बड़ा और भारी ।

धरी रह गई तरक्की और समझदारी ,

झट से बदल गई उनकी दुनिया सारी । 

उनकी ही आज़ादी के बने है शिकारी ,

उनके लिये ही सब बंदिशें है जारी ।

डरी सहमी सी है सब बेचारी ,

छाई है बस बेबसी और लाचारी ।

मदद की आस में सहती अत्याचारी ,

कोई तो आयेगा मदद को हमारी । 


बेड़ियों में जकड़ती अफगानी नारी ,

तमाशबीन बनी है ये दुनिया सारी ।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

यूँ देखकर हमको क्यूँ #किनारा कर लिया !


यूँ   देखकर हमको क्यूँ किनारा कर लिया ,

मन को बेघर कर क्यूँ बंजारा कर दिया ,

पलकों से नींदों को नौ दो ग्यारह कर दिया ,

होठों की हंसी पर भी एक ताला जड़ दिया ।

 

सुबह सबेरे  मॉर्निंग वॉक में वो आपकी एक झलक ,

ठंडी हवायें और उस पर आपकी साँसों की महक ,

हमारे तुम्हारे कदमों के साथ चलती थी एक सड़क ,

राहों को  बदलकर शुभ प्रभातों से बेसहारा कर दिया ।

 

फेसबुक की हर पोस्ट पर करते थे लाइक ,

सेल्फी भी  खींचकर करते  थे शेयर डे-नाइट ,

मोबाइल पर चैट की कुछ कम न  थी  डाइट ,

यूँ  वर्चुअल सौगातों का क्यूँ बंद खजाना कर दिया ।

 

जब छत पर सूखे कपड़े उठाने की होती थी भनक ,

तब पतंगों के साथ हमारी भी हो जाती थी धमक ,

फिर नभ के उड़ते पंछियों को निहारती थी चारों पलक ,

पर अचानक डूबते सूरज सा क्यूँ नजारा कर दिया ।

 

यूँ   देखकर हमको क्यूँ किनारा कर लिया ,

मन को बेघर कर आवारा कर दिया ,

पलकों से नींदों को नौ दो ग्यारह कर दिया ,

होठों की हंसी पर भी एक ताला जड़ दिया ।

                                         ***दीप***


रविवार, 15 अगस्त 2021

थोड़ा लिया पर सब कुछ दिया !

 


थोड़ा लिया पर सब कुछ दिया ,

ऐसा है भारत Great .

  

धरा मिली , आसमान मिला ,

और  रहने को मिला Space .

 

 धन मिला , सामान  मिला ,

 और मिला सुविधाओं का Stack  .

 

शिक्षा मिली , सूचना मिली,   

और मिला Knowledge  

 

स्वास्थ्य मिला , सुरक्षा मिली

और मिला जीवन Safe .  

 

तकनीक मिली , विज्ञान मिला ,

और जीवन में बढ़ा Ease .

 

सम्मान मिला , अभिमान  मिला ,

और मिला happyness.

  

थोड़ा लिया पर सब कुछ दिया ,

ऐसा है भारत Great .

 

जय हिन्द ,जय भारत ।

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे ।

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

कर खुद को कौशलमंद इतना !

 


कर खुद को कौशलमंद इतना ,

तकनीकी ज्ञान का पहनकर चस्मा ,

प्रशिक्षण लें कौशल बढ़ाने के लिए ,

हाथों को मिले नये हुनर की क्षमता ।


कर खुद को कौशलमंद इतना ,

सीख कर मेहनत की आग में तपना,

बन जा शागिर्द हुनर बढ़ाने के लिए ,

कौशल को मिलेगी परिपक्वता ।


बना खुद को असरमंद इतना ,

हर काम को पड़े तुमसे ही वास्ता , 

करें हर काम अनुभव पाने के लिए ,

हाथों में आयेगी  प्रवीणता । 


बना खुद को कौशलमंद इतना ,

बेगारी को भी क़दमों में पड़े झुकना ,

मचेगी होड़  तुम्हे आजमाने के लिए , 

अवसरों की बढ़ जाएगी प्रचुरता ।


बना खुद को कौशलमंद इतना ,

जोड़कर कौशल विकास से  रिश्ता । 


गुरुवार, 22 जुलाई 2021

#सेल्फी जरा लेना !


मौसम हो रहा है #कातिल ,

और दिल है उफान पर,
सेल्फी जरा लेना ,
होश अपने संभाल कर ।
फिसलन भरी है राहें ,
अरमां भी है आसमान पर ,
उतरना जरा कहीं भी ,
कदम अपने #संभाल कर ।
लगने लगे जब आलम ,
सुहाना दिलों जान पर,
#तस्वीरों की जगे तमन्ना ,
हंसी यादों के नाम पर ।
हो जाये कैद यादें ,
तस्वीरों के सामान पर ,
#परवाह बचे बिकने से ,
खुराफातों की दुकान पर ।
#खैरियत का हो ख्याल ,
चंद खुशियों के दाम पर ,
बन जाये कहीं न दुश्मन ,
खुद अपने ही जान पर ।
मौसम बन रहा है कातिल ,
अरमां भी है आसमान पर,
सेल्फी जरा लेना ,
होश अपने संभाल कर ।

बुधवार, 14 जुलाई 2021

यदि हो जाये ऐसी #बगावत !

 


सुबह का पता न शाम का ,

खाने की सुध न आराम का ,

लगातार सर झुकाये बैठे हो ,

#स्क्रीन पर नजर गड़ाये बैठे हो ।


कभी दर्द की शिकायत ,

तो उससे निजात की कवायद ।


एक अलग ही दुनिया बनाये बैठे हो ,

साथ अपनों का गवाये बैठे हो ।


ध्यान जरा अपना हटाकर ,

सर को अपने  ऊपर उठाकर ,

उंगलियों को अपनी विराम दो ,

आंखों को अपनी आराम दो ।


यदि हो जाये ऐसी बगावत ,

तो मिल जाये कुछ राहत ।


अस्तित्व को अपने एक जुबान दो ,

अपने होने का जरा प्रमाण दो ,

बड़ों की बातों को मान दो ,

दीवानगी #मोबाइल को जरा लगाम दो ।

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शनिवार, 12 जून 2021

#आसमान में आये #बादल ।



आसमान में आये बादल , 

काले काले श्यामल श्यामल ।

गरज रहे मस्ती में बादल ,

चमक रही बिजली भी कड़कड़ ।

गर्जना से जब होता कंपन ,

बढ़ा जाती है दिल की धड़कन ।


एक साथ जब बरसी बूंदे , 

चारों दिशा टिप टिप से गूंजे ।

कोई लगा हाथों से छूने , 

कोई भरता अंजुली में  बूंदे ,

छपाक कर गड्डे में कूदे ,

तो भीग भीग कर मस्ती में झूमे ।


मिट्टी की भीनी खुशबू आई ,

धरती की जल से गोद भराई ।

गर्मी तो अब हुई पराई ,

ठंडी हवा बही सुखदाई ।


भर दिये प्रकृति का आंचल ,

आसमान से आये बादल ।

गुरुवार, 3 जून 2021

है कहते ये तो #ईश्वर की है #मर्जी ।



 है कहते  ये तो #ईश्वर की है #मर्जी ।

हैं बात बड़ी ये बेदर्दी  ,


जीवन अब तक साथ बिताये ,

सुख दुख में रहे एक दूजे के साये ,

सुखद भविष्य के कितने स्वप्न सजाये,

पर एक पल में दुनिया उजड़ दी । 


सांसों के वो खेल अजब थे ,

हम सब भी बहुत सजग थे ,

न दवा काम आई न दुआ ,

एक पल में सांसे उखड़ दी ।


उजाड़ कर जमीं का घर,

बसा दिया आसमां के ऊपर ,

जो अब न आएंगे लौटकर ,

ए ईश्वर कुछ तो करते रहम जी ।


कहते है इतना ही साथ लिखा था , 

इतना ही जीवन भाग्य बदा था ,

ईश्वर का सब ये खेल रचा था ,

इन बातों से बस मन की मिला भरम जी ।


ये बात बड़ी ये बेदर्दी  ,

है कहते  ये तो ईश्वर की है मर्जी ।

गुरुवार, 20 मई 2021

#महामारी के #कुचक्र में फँसकर कुछ अपनों ने साथ छोड़ा है !


#महामारी के इस दौर ने किसी न किसी अपनों को घेरा है,

जिनके इलाज और दवाओं के लिये कोना कोना टटोला है ।
पर विपरीत परिस्थितियां और बिगड़ी व्यवस्थाओं ने झँझोड़ा है,
स्वार्थी और निर्दयी इन्सानों ने भी कुकृत्यों की सारी हदें तोड़ा है ।
इन झंझावतों से लड़कर कुछ अपनों को मिला नया सबेरा है ,
पर दुर्भाग्य के कुचक्र में फँसकर कुछ अपनों ने साथ छोड़ा है ।
ऐसी बेबसी और लाचारी की अवस्था ने मन को झकझोरा है,
और अच्छा न कर पाने के एक अपराध बोध ने मन को घेरा है।
पर ईश्वर की मर्जी मानकर मन को समझा रहे थोड़ा थोड़ा है ,
तिनका तिनका हौसला जुटाकर बांध सब्र का न तोड़ा है ।
उनके साथ और आशीष बिना ये जीवन अब रहा अधूरा है ।
पर जो साथ है उनको लेकर जीवन सफर तो करना पूरा है ।

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...