सन्नाटा है गली मौहल्लों में ,
बच्चे दुबके है माँ के आंचलों में ,
बड़े बुजुर्ग भी दुबककर बैठे हैं ,
बंद कर अपने घरों के किवाड़ ।
पक्षियों के परों की फड़फड़ाहट ,
पत्तियों में हवाओं की सरसराहट ,
खामोशी में खौफ की महफ़िल सजाते हैं ,
कुत्ते , बिल्ली और जंगली सियार ।
जुगनुओं का काफिला कर तैयार ,
जलते दीपकों की लिये तलवार ,
चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,
काली रात का करने शिकार ।
उतर चला है अंधेरे का खुमार ,
थम रहा है रात का अत्याचार ,
बह रही है धवल रोशनी की धार ,
मिल रहा है सबके दिलों को करार ।
चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,
काली रात का करने शिकार ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Clickhere to comment in hindi