फ़ॉलोअर

रविवार, 9 सितंबर 2018

जाती हुई बारिश# से बातें# कर लें दो चार .


चलो वक्त से थोड़ा बचपन लें उधार .
जाती हुई बारिश से बातें कर लें दो चार .
फिर न मिलेगी वो बारिश की फुहार . 
और न ही होगा बड़ी बूंदों का प्रहार .
पानी भरे गड्डों में थोड़ा उछल लें यार .
मस्ती से भीगकर हो जायें सरोबार .
कीचड लगने की चिंता करना है बेकार .
चलो पानी में कागज़ की नाव दें उतार .
जाने दो जहाँ तक ले जाए पाने की धार .
डूब भी जाए तो क्या इसमें नहीं जीत हार .
उड़ जाने दो छतरी चिंता काहे की यार .
चलो भीगते हुये ही घूम आएं बाजार .
घर में डांट तो होगी पर न होगी मार .
अदरक वाली चाय की होगी दरकार .
अब वापस कर दें यह बचपन उधार .
फिर से लौट आयें "दीप" घर द्वार .

बुधवार, 5 सितंबर 2018

जब भिन्न रूपों में गुरुओं का हो वरद हाथ ।

जब भिन्न रूपों में गुरुओं का हो वरद हाथ ।

जीवन में लक्ष्यों का है  अनंत आकाश ।
जिन्हें बाँहों में समेटने का अथक प्रयास ।
जब भिन्न रूपों में गुरुओं का हो वरद हाथ ।
प्रथम गुरु माता पिता का हो  आशीर्वाद ।
दूजा गुरुओं के ज्ञान का हो चिर प्रकाश ।
भाई बहिन व् अपनों की सबक और डांट।
जीवन संगिनी का हर पल साथ व विश्वास ।
दोस्तों व सहकर्मियों का सहयोग भरा साथ ।
हर पल प्रेरणा  देती यह प्रकृति अनायास ।
मेरे प्रिय छात्रों की प्रश्न जिज्ञासा का अर्थात ।
सभी के मार्गदर्शन ने जीवन दिया है तराश ।
जीवन को मिला खुशियों का अनंत आकाश ।
सभी गुरुओं को शत शत 'दीप' नमन है आज ।
शिक्षक दिवस की शुभकामनायें एवं बधाइयाँ ।

सोमवार, 3 सितंबर 2018

हे ! कान्हा तेरे आने से आस जगी है अपार ।


हे  !  कान्हा तेरे आने से आस जगी है अपार ।
रोग द्वेष सब दूर होंगे खुशियों से सजेंगे हर द्वार ।
आशा और उम्मीद की किरणें लेने लगी आकार ।
हर जायेंगे सब दुःख संताप होगा सबका उद्धार ।
निःस्वार्थ प्रेम की निश्चल धारा फिर बहेगी इस बार ।
जब बालसखा और गोपियों संग छायेगी रास बहार ।
नरकासुर और कंश जैसे पापियों का होगा संहार ।
अब अन्याय और अत्याचार पर होगा कड़ा प्रहार ।
द्रोपदी चीर हरण सी पीड़ा न सहनी होगी बार बार ।
नारी सम्मान की रक्षा के लिए अब हाथ उठेंगे हजार ।
दूध दही माखन और धन धान्य की  होगी भरमार ।
पौष्टिक सात्विक आहार पर सबका होगा अधिकार ।
सहयोग और प्रेम के रिश्ते अब और होंगे प्रगाढ़ ।
सुख समृद्धि और खुशियों से जीवन होगा सरोबार ।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कोटिश मंगलकामनायें ।
जय श्री राधेकृष्णा । 

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...