हे ! कान्हा तेरे आने से आस जगी है अपार ।
रोग द्वेष सब दूर होंगे खुशियों से सजेंगे हर द्वार ।
आशा और उम्मीद की किरणें लेने लगी आकार ।
हर जायेंगे सब दुःख संताप होगा सबका उद्धार ।
निःस्वार्थ प्रेम की निश्चल धारा फिर बहेगी इस बार ।
जब बालसखा और गोपियों संग छायेगी रास बहार ।
नरकासुर और कंश जैसे पापियों का होगा संहार ।
अब अन्याय और अत्याचार पर होगा कड़ा प्रहार ।
द्रोपदी चीर हरण सी पीड़ा न सहनी होगी बार बार ।
नारी सम्मान की रक्षा के लिए अब हाथ उठेंगे हजार ।
दूध दही माखन और धन धान्य की होगी भरमार ।
पौष्टिक सात्विक आहार पर सबका होगा अधिकार ।
सहयोग और प्रेम के रिश्ते अब और होंगे प्रगाढ़ ।
सुख समृद्धि और खुशियों से जीवन होगा सरोबार ।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कोटिश मंगलकामनायें ।
जय श्री राधेकृष्णा ।
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