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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

मत# देखा# करो ऐसे !


                                                              इमेज गूगल साभार

मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

नशीले नीले नैनो का नशा  ,
काले केशों का कहर ढाता कहकशा ,
बार बार बहकती बाहें करती बयाँ ,
निहारती नजरें नहीं नादाँ ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

आहिस्ते से अंदर उतर आयी अदा ,
दिल में दस्तक देती हंसी दास्ताँ ,
किस कदर कहर बरपा कहाँ कहाँ ,
दिल दरख्वास्त देता है दसियों दफा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां।  

मन माफिक मौसम है महरबाँ ,
जिद जीने की जबरदस्त  जवाँ ,
गर गुमराह होकर कर गए गुस्ताखियाँ ,
तकदीर का तकदीर से है तकाजा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है  अरमा , उठते है  तूफां। 

बुधवार, 17 जुलाई 2019

एक विनती# सुनलो# हमारी !

एक विनती# सुनलो# हमारी !
एक विनती सुनलो हमारी ,
शीतल कर दो धरती सारी .
त्राहि कर रहे सब नर नारी ,
रवि रश्मि बनी चिंगारी .
अंकुरित हो फसलों की क्यारी,
राह निहारती सब तुम्हारी .
चिंता में दिन रात गुजारी ,
धरती पुत्र की समझो लाचारी .
पशु पक्षियों को प्यास ने मारी ,
सर सरिता सब सूखी सारी .
माना इंसा की है कारगुजारी ,
प्रकृति संग की है चोट करारी .
भूल कर अपनी जिम्मेदारी ,
सुखो के लिये की है मारामारी .
अब प्रकृति संग निभायेंगे यारी ,
माफ़ करो सब गलती हमारी .
शीतल कर दो धरती हमारी ,
हम सब भूवासी रहेंगे आभारी ,
एक विनती सुन लो हमारी . 

शनिवार, 13 जुलाई 2019

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल# उड़ चला तेरी गलियों# की तरफ !

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।
बार बार तुझसे मिलने की उठती है तड़फ ,
सुकून से क्या खाक जीयेंगे अब ।

घटाओं सा लहराता केशों का आसमानी फलक ,
पाजेब की झंकार और चूड़ियों की खनक ,
कदमों की थिरकन और कमर की लचक ,
जब भी सुनाई देती है कदमों की आहट ,
लगता है कि आया है मेरा रब ।
अब बंद हो या खुली हो आंखों की पलक ,
सदा साथ होने के सपने सजेगें अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

लवों पर मुस्कान भरी उसकी एक झलक ,
उसकी जिद और बार बार रूठ जाने की सनक,
मिलकर फिर मिलने की तमन्नाओं की कसक,
जब घुलती है फिजाओं में फूलों की महक ,
उनकी अदाओं का जलवा है ये तो सब ।
अब वो माने या रूठ भी जाए बेशक ,
साथ जीने मरने के ख़्वाब हकीकत बनेंगे अब ।

दिल उड़ चला तेरी गलियों की तरफ ,
कदम क्या खाक रुकेंगे अब ।

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...