इमेज गूगल साभार
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है अरमा , उठते है
तूफां।
नशीले नीले नैनो
का नशा ,
काले केशों का
कहर ढाता कहकशा ,
बार बार बहकती
बाहें करती बयाँ ,
निहारती नजरें
नहीं नादाँ ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है अरमा , उठते है
तूफां।
आहिस्ते से अंदर
उतर आयी अदा ,
दिल में दस्तक
देती हंसी दास्ताँ ,
किस कदर कहर बरपा
कहाँ कहाँ ,
दिल दरख्वास्त
देता है दसियों दफा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है अरमा , उठते है
तूफां।
मन माफिक मौसम है
महरबाँ ,
जिद जीने की
जबरदस्त जवाँ ,
गर गुमराह होकर
कर गए गुस्ताखियाँ ,
तकदीर का तकदीर
से है तकाजा ।
मत देखा करो ऐसे ,
मचल उठते है अरमा , उठते है
तूफां।
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