#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।
दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
छोटी सी जिंदगी है
है बहुत खूबसूरत
पर समेटने खुशियां
मिला है बहुत ही कम वक्त
हसरतों को अपने दिल में
यूं उड़ने को आजाद रखूं ।
चलो भूल जाते हैं
अब उन खताओं को
जो ला न सकी
बड़ी #आपदाओं को
खुशियों के दरवाजे में
ऐसे #ताला कब तक #आबाद रखूं ।
#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।
दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
***दीपक कुमार भानरे **
मैं कब तक याद रखूं
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना