सूर्य किरण तेज
लिये है जल सहेज
धर लालिमा भेष
सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।
शीतलता का है प्रवेश
अवनी अंबर करते भेंट
सूर्य अस्त बेला विशेष ।
शाम ने #बांधा समा रात ने दी #दस्तक अब पूछ रही है #महफिलें जागना है कब तक । दौर पर दौर चले जाम के लव तलक अब पूछ रहे है प्याले रहना होश ...
Nice One!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर।
हटाएंअति सुंदर सर जी 🌹
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 20 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय , मेरी रचना "सुंदर सूर्य अस्त समावेश" को इस सुंदर अंक में सम्मिलित करने हेतु बहुत धन्यवाद ।
हटाएंबहुत शुभकामनायें । सादर ।
वाह! सुन्दर सृजन!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय ।
हटाएंवाह! बहुत खूब।
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