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रविवार, 25 सितंबर 2022

#पल पल की यह खूबी है ।

 इमेज गूगल साभार


पल पल की यह खूबी है ,

जिसमें चल रही सांसे बखूबी है ,

मिल रही जीवन को गति भी है ,

और साथ हर पल #प्रभुजी भी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

आंखें बंद और खुली भी है ,

जिससे सृष्टि देख खुशी भी है ,

जो प्रभु जी ने रची भी है ।


हर पल की यह खूबी है ,

वर्तमान भविष्य की पूंजी है ,

गर बूंद बूंद उपयोग की भीi  है ,

तो प्रभु भी हर पल सहयोगी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

गर संयम और समझ की सूझी है ,

तो मुश्किलों की हर नैया डूबी है ,

और प्रभु का  साथ बखूबी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

जीने की मिली खुश नसीबी है ,

बीते पल पल हंसी खुशी भी है ,

जो प्रभु कृपा बारिश से भीगी है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

अब शेरों का है ठिकाना , और शेरों सा है सुर ।


गया वो जमाना ,

जब लोग करते थे फुर्र,

और हर बात के लिये,

शांति के थे सुर ।


अब भारत शेरों का है ठिकाना ,

और  शेरों सा है सुर ।


देश के अंदर भी ,

और देश के बाहर भी ,

अब दुश्मनों के होश ,

हो गये हैं काफूर।


गर कोई आंख दिखाये,

या भिड़ने को है आतुर ,

शेरों की तरह अब भारत ,

दहाड़ता है करता है गुर्र।


चाहे कोई भ्रष्टाचारी है ,

या है देश विरोधी असुर,

करने सर्वनाश इनका तत्पर ,

मेरा भारत शेर बहादुर ।


अब देश शेरों का है ठिकाना ,

और इसका शेरों सा है सुर ।

रविवार, 11 सितंबर 2022

हां दिखने लगे हैं ऐब !

 

इमेज गूगल साभार 

करते हो कितना #फरेब ,

बातों ही बातों में ,

दिखने लगे हैं #ऐब ,

हर एक #मुलाकातों में ।

 

करते हो तीखा वार ,

आँखों ही आँखों में ,

लगने लगते हो यार ,

कुछ पल के तमाशों में ।

 

नींदों में होती तकरार ,

ख्वाबों ही  ख्वाबों में ,

यादों में रहते सवार ,

दिन और रातों में ।

 

होता नही खत्म ,

सिलसिला तलाशों में ,

कि कब मिलेगा वक्त ,

एक और नयी मुलाकातों में ।

 

उलझ गया है सुकून अब ,

इन चाहतों की सलाखों में ,

है उनकी बातों की ही गूंज ,

इस दिल के इलाकों में ।

 

लगने लगा है  फरेब ,

जो आज है इन हालातों में ,

हां दिखने लगे हैं ऐब ,

उलझ कर इन बिसातों में ।

सोमवार, 5 सितंबर 2022

गुरु देते जीवन संवार ।


एक नन्हा मासूम ,

जो जानता नहीं ,

बाहरी दुनिया के कायदे कानून,

अभी तो सीखा है चलना ,

अभी छूटा कहां मचलना ,

इतना भी रहता नहीं होश,

कि कब जाना है शौच ,

जलाने को ज्ञान का दीप,

गुरु को देते हैं सौंप ।


एक किशोर अवस्था ,

उलझनों भरी व्यवस्था,

दिमाग में घूमें कितने प्रश्न ,

शरीर में परिवर्तन ,

विपरीत आकर्षण ,

जिज्ञासों का नहीं शमन,

मिलती राहों में  फिसलन ,

तब संयम समझ की राह दिखाकर,

गुरु करते मार्गदर्शन ।


एक युवा मन ,

चाहते उड़ने को मुक्त गगन ,

कुछ भी करने को अमादा ,

चाहते नहीं कोई बंधन ,

ऊर्जा उत्साह होता अपार ,

पर दिखाई न देता आर और पार,

तब प्रतिभा को देकर धार ,

गुरु देते जीवन संवार ।


एक उम्र दराज ,

कितनी जिम्मेदारियां और काज ,

शरीर का होता विघटन,

शांत नहीं चित और मन ,

जरूरतों का बढ़ता दामन ,

जिसके लिए जुटाना संसाधन ,

जब पाते गुरु जी की शरण ,

मिलता सब बातों का निराकरण ।


सभी आदरणीय गुरुओं को समर्पित ।

शिक्षक दिवस की बहुत शुभकामनाएं ।

बहती नदी मध्य एक #पत्थर !

ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव , पंछी , #नदियां और तालाब ठंडी ठंडी हवा का बहाव , आसमां का जहां #धरती पर झुकाव । बहती नदी मध्य एक #पत्थर , बैठ गय...